डॉ जेन्नी
शबनम
1.
नीले नभ से
झाँक रहा सूरज,
बदली खिली
भीगने को आतुर
धरा का कण-कण !
2.
झूमती नदी
बतियाती लहरें
बलखाती है
ज्यों नागिन हो कोई
अद्भुत रूप लिये !
3.
मैली -कुचैली
रोज़-रोज़ है होती
पापों को धोती,
किसी को न रोकती
बिचारी नदी रोती !
4.
जल उठा है
फिर से एक बार
बेचारा चाँद
जाने क्यों चाँदनी है
रूठी अबकी बार !
5.
उठ गया जो
दाना -पानी
उसका
उड़ गया वो,
भटके वन-वन
परिंदों का जीवन !
-0-
9 टिप्पणियां:
मैली -कुचैली
रोज़-रोज़ है होती
पापों को धोती,
किसी को न रोकती
बिचारी नदी रोती .........वाह बहुत ही सुन्दर तांका, जेन्नी जी आपको हार्दिक बधाई। संख्या ४ पर लिखा तांका भी कमाल है।
मैली -कुचैली
रोज़-रोज़ है होती
पापों को धोती,
किसी को न रोकती
बिचारी नदी रोती !
बहुत बढ़िया ताँका... जेन्नी जी बधाई।
मैली -कुचैली
रोज़-रोज़ है होती
पापों को धोती,
किसी को न रोकती
बिचारी नदी रोती !
मैली -कुचैली
बहुत बढ़िया ताँका... जेन्नी जी बधाई।
झूमती नदी
बतियाती लहरें
बलखाती है
ज्यों नागिन हो कोई
अद्भुत रूप लिये !
3.
मैली -कुचैली
रोज़-रोज़ है होती
पापों को धोती,
किसी को न रोकती
बिचारी नदी रोती ! ......dono roop bahut sundartaa se prastut ...bahut badhaaii !!
सभी तांका बहुत सुंदर जेन्नी जी!
~सादर!!!
उठ गया जो
दाना -पानी उसका
उड़ गया वो,
भटके वन-वन
परिंदों का जीवन !...वाह
Gahan abhivyakti...badhai...
मेरी रचना की सराहना के लिए आप सभी का तहे दिल से आभार. धन्यवाद.
देर से आ पाई पर सभी तांका बहुत खूबसूरत है, बधाई...|
प्रियंका
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