सोमवार, 1 अप्रैल 2013

अद्भुत रूप



डॉ  जेन्नी शबनम 
1.
नीले नभ से 
झाँक रहा सूरज
बदली खिली 
भीगने को आतुर
धरा का कण-कण ! 
2.
झूमती नदी 
बतियाती लहरें
बलखाती है 
ज्यों नागिन हो कोई
अद्भुत रूप लिये ! 
 3.
मैली -कुचैली 
रोज़-रोज़ है होती
पापों को धोती
किसी को न रोकती 
बिचारी नदी रोती ! 
4.
जल उठा है 
फिर से एक बार 
बेचारा चाँद 
जाने क्यों चाँदनी है 
रूठी अबकी बार ! 
5.
उठ गया जो 
दाना -पानी उसका 
उड़ गया वो,
भटके वन-वन 
परिंदों का जीवन !
-0-

9 टिप्‍पणियां:

सीमा स्‍मृति ने कहा…

मैली -कुचैली

रोज़-रोज़ है होती

पापों को धोती,

किसी को न रोकती

बिचारी नदी रोती .........वाह बहुत ही सुन्‍दर तांका, जेन्‍नी जी आपको हार्दिक बधाई। संख्‍या ४ पर लिखा तांका भी कमाल है।

Krishna ने कहा…

मैली -कुचैली
रोज़-रोज़ है होती
पापों को धोती,
किसी को न रोकती
बिचारी नदी रोती !
बहुत बढ़िया ताँका... जेन्नी जी बधाई।

Krishna ने कहा…

मैली -कुचैली
रोज़-रोज़ है होती
पापों को धोती,
किसी को न रोकती
बिचारी नदी रोती !
मैली -कुचैली
बहुत बढ़िया ताँका... जेन्नी जी बधाई।

ज्योति-कलश ने कहा…

झूमती नदी
बतियाती लहरें
बलखाती है
ज्यों नागिन हो कोई
अद्भुत रूप लिये !
3.
मैली -कुचैली
रोज़-रोज़ है होती
पापों को धोती,
किसी को न रोकती
बिचारी नदी रोती ! ......dono roop bahut sundartaa se prastut ...bahut badhaaii !!

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

सभी तांका बहुत सुंदर जेन्नी जी!
~सादर!!!

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

उठ गया जो
दाना -पानी उसका
उड़ गया वो,
भटके वन-वन
परिंदों का जीवन !...वाह

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Gahan abhivyakti...badhai...

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

मेरी रचना की सराहना के लिए आप सभी का तहे दिल से आभार. धन्यवाद.

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

देर से आ पाई पर सभी तांका बहुत खूबसूरत है, बधाई...|

प्रियंका