डॉ सुधा गुप्ता
1
तारे नभ में छिटके
तेरी यादों के
आँसू पलकों अटके ।
2
विरहा का गीत न गा
थपक रही पीड़ा
अब और न आज रुला ।
3
वे किस्से रीत गए
तुझसे मिलने के
सब मौसम बीत गए ।
4
आँसू की धार बही
बोल नहीं फूटे
मन की ना एक कही ।
5
सागर था तूफ़ानी
मेरी क्या हस्ती
तिरना था बेमानी ।
6
चिड़िया जो खेत चुगे
खुश है रखवाला
धन-धन जो भाग जगे ।
7
आकाश उड़ान भरूँ
पंछी तो चाहे-
दुनिया की सैर करूँ ।
8
सुनसान डगर राही
तोड़ो सन्नाटा
आवाज़ इधर आई ।
9
कस्तूरी खोज थके
बन-बन तुम भटके
पर पैर कहीं न रुके ।
10
ऊषा रानी आई
रजनी के आँसू
फूलों में रख लाई ।
11
सूरज तो था भोला
कैसे बदल गया
बन अनल -भरा गोला
6 टिप्पणियां:
sabhi mahiya bahut hi manbhavan .
vividh bhav paripoorn sundar mahiya ...
ऊषा रानी आई
रजनी के आँसू
फूलों में रख लाई ।...bahut hii sundar ....
saadar naman ke saath
jyotsna sharma
बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...सुधा जी बहुत बधाई।
virah ke geet aaj n ga
thapak rahi peeda
ab aur aaj na rula....
komal bhavo ki bahut hi sunder abhivyakti
meenakshi jijivisha
तारे नभ में छिटके
तेरी यादों के
आँसू पलकों अटके ।
Bahut sundar,tulna or kalpna hai..
ऊषा रानी आई
रजनी के आँसू
फूलों में रख लाई ।
ismen kalpana ki udaan adbhut hai...
क्या बात है...सभी बहुत भावपूर्ण...पर ये वाले तो बहुत छू गए मन को...
तारे नभ में छिटके
तेरी यादों के
आँसू पलकों अटके ।
विरहा का गीत न गा
थपक रही पीड़ा
अब और न आज रुला ।
आँसू की धार बही
बोल नहीं फूटे
मन की ना एक कही ।
बधाई...|
प्रियंका
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