शुक्रवार, 5 अप्रैल 2013

जाने क्या लाचारी


डॉ जेन्नी शबनम  
1
जाने क्या लाचारी   
कोई ना समझे    
मन फिर भी है भारी !  
2
 सन्देशा आज मिला
उनके आने का
मन में है फूल खिला !
3
दुनिया भरमाती है  
अजब पहेली है  
समझ नहीं आती है !
4
मैंने दीप जलाया,   
जब भी तू आया 
मन ने झूमर गाया  ! 
5
 चुपचाप हवा आती  
थपकी यूँ देती , 
ज्यों लोरी है  गाती  !
-0-

7 टिप्‍पणियां:

Krishna ने कहा…

दुनिया भरमाती है
अजब पहेली है
समझ नहीं आती है !
सुन्दर माहिया...जेन्नी जी बधाई।

ज्योति-कलश ने कहा…

saral bhaashaa mein gahree baat kahte sundar maahiyaa ...bahut badhaaii !!

ज्योति-कलश ने कहा…

saral bhaashaa mein gahree baat kahte sundar maahiyaa ...bahut badhaaii !!
saadar
jyotsna sharma

Kamlanikhurpa@gmail.com ने कहा…

सन्देशा आज मिला
उनके आने का,
मन में है फूल खिला !

बहुत प्यारा माहिया ..

sushila ने कहा…

बहुत सुंदर माहिया लिखे हैं जेन्नी जी । बधाई !

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत सुन्दर माहिया हैं सभी, पर ये बहुत ही अच्छा लगा...

जाने क्या लाचारी
कोई ना समझे
मन फिर भी है भारी !

ये पल शायद सबके साथ आता है...|
बधाई...|

प्रियंका

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

मेरे पहले प्रयास को आप सभी का मान मिला, ह्रदय से आभार.