रश्मि शर्मा
उसने सोचा
फ़र्क़ नहीं पड़ता
किसी के होने
या न होने से मुझे
जाने दो उसे
दुनिया में बहुत
लोग होते हैं
पर समझ रहा
था बेहतर
किसी के होने
नहीं होने का फ़र्क़
होता है कोई
सारी दुनिया में भी
एक ही जहाँ
धरा एवं आकाश
होते हैं एकाकार
मिल जाते हैं
वहाँ चाँद-सितारे
जिसके होने
से जीवन में सारे
इंद्रधनुषी
रंग घुले होते हैं
वो अपने होते हैं।
-०-
2.बंजर
अब मन की
ज़मीन है बंजर
काट ली दुनिया ने
सारी फ़सलें
ऊसर हुआ सब
नहीं खिलेगा
नया कोई भी फूल
न उपजेंगे
गेहूँ या कि सरसों
खा लेगी बीज
ख़ुद अब धरती
कोंपल कोई
नहीं फूटेगी यहाँ
मेरे मन की
उजड़ी बगिया में
नहीं कोई बसंत।
-०-
3.पीली चिट्ठी
एक चिट्ठी है
सालों-साल पुरानी
मुड़ी-तुड़ी -सी
बेरंग, पीली पड़ी
बिल्कुल नीचे
संदूक की तली में
खोला तो पाया -
उसके वे शब्द थे
भाव में डूबे
मोतियों जैसे गुथे
थी मनुहार
तो कहीं इसरार
छलका प्यार
वक़्त थम -सा गया
और फिर से
लौट गया बरसों
पहले बीते
पुराने से पल में
जब तुमसे
नेह भरा नाता था
तब अक्सर
हमारे बीच कुछ
रह जाता था
कहा-अनकहा सा
ये अनकहा
चिट्ठियों में पिरोके
और उनको
शब्दों की माला बना
भेज देते थे
और इन्हें पाकर
अकेले हम
अक्सर हम रोते
सँभालकर
रखा है अब तक
इन ख़तों में
तुम्हारे सूखे आँसू
कह न पाए
वह तुम्हारा प्यार
अब जो आज
बरसों बाद खोला
टीन का बक्सा
यादें ताज़ा हो गईं
क्या हो गया जो
रहा नहीं हमसे
कोई भी नाता
मेरे पास रखी है
मुड़ी-तुड़ी सी
बिसराई उदास
वो पीली पड़ी चिट्ठी।
-0-
13 टिप्पणियां:
बहुत ही अच्छे चोका, हार्दिक बधाई रश्मि जी।
Very nice,congratulations
वाह बहुत सुंदर!बधाई आपको।
भावपूर्ण,
पीली चिठ्ठियों के अहसास वाह
एक से बढ़कर दूजा चोका । पीली चिट्ठी बहुत सुन्दर सृजन । बधाई ।
बेहद भावपूर्ण सृजन!
पीली चिट्ठी बहुत मनमोहक है... बहुत-बहुत बधाई आपको रश्मिजी !
प्रतिक्रिया के लिए आप सभी का आभार और आदरणीय काम्बोज भैया को धन्यवाद कि उन्होंने यहाँ जगह दी।
बहुत ही सुंदर भावपूर्ण सृजन रश्मि जी
हार्दिक बधाई
बहुत सुन्दर , सरस !
हार्दिक बधाई |
सभी बहुत सुन्दर चोका
बहुत अच्छे चोका...हार्दिक बधाई
बहुत सुंदर चोका ,हार्दिक बधाई।
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