1-भावना सक्सैना
1
गीत सुरीले
गाती है ये ज़िन्दगी
सुर पकड़
नए सृजन करो
मन आनंद भरो।
2
छाँव सुख की
नटखट बालक
चंचल दौड़े
नयन मटकाती
टिके नहीं दो घड़ी।
-0-
2-अनिता मण्डा
1
इच्छा के दीप
मन का गंगाजल
ले जाएँ लहरें
तैरते व डूबते
दिन-रात बीतते।
2
घूरती आँखें
गली चौराहों पर
भूली संस्कार
पोतें सभ्यता पर
कालिख़ दिन-रात।
3
छानते युवा
सड़कों की धूल
कर्तव्य भूल
अधर में भविष्य
वर्तमान हविष्य।
4
मन हो जाता
पत्थर से भी भारी
रहे डूबा सा
सुधियों की नदियाँ
कितनी उफनाता
-0-
3-पूनम सैनी (हरियाणा
साहित्य अकादमी-परिष्कार कार्यशाला की छात्रा)
1
अंगार- भरी,
चंदन- सी घाटी ये
तेरी ज़िन्दगी।
रोते या मुस्कुराते,
सफर तो तय है।
2
कुछ अपनी,
कुछ अजनबी-सी,
अनकही- सी,
दास्ताँ है वतन की।
वीरों के जतन की।
3
मेरी साँसों में
उसके जीवन का
एहसास है।
अब न मैं न ही वो,
बस प्रेम जीता है।
4
सीमाएँ भी है,
धर्म और जाति भी
ढूँढे न मिला
आदमी की बस्ती में
इंसान है लापता।
5
पतझड़ में
बसंत न खिलता
बिन तुम्हारे।
आशाओं की बेल थी
हिम्मत के सहारे।
6
घुमड़ते-से
बादल बनकर
तुम आओ तो।
थार से मन पर
प्रेम बरसाओ तो।
-0-
9 टिप्पणियां:
भावना,अनिता बहुत सुंदर भावपूर्ण ताँका।
पूनम सैनी बहुत सुंदर ताँका। परिपक्व। भविष्य उज्जवल है आपका। बधाईएवं अनंत शुभकामनाएँ।
bahut sundar |
pushpa mehra
बहुत सुंदर ताँका भावना जी, अनिता !
पूनम सैनी जी...बहुत ख़ूबसूरत एवं भावपूर्ण ताँका !
हार्दिक बधाई आप सभी को!!!
~सादर
अनिता ललित
बहुत सुन्दर भावपूर्ण ताँका रचनाएँ भावना जी , अनिता मंडा जी बधाई !
नए सशक्त कदम ..पूनम सैनी ! अभिनन्दन ..बहुत शुभकामनाएँ !!
प्रभावी सृजन के लिए आप सबको हार्दिक बधाई ।सभी ताँका लाजवाब ।
अनिता बहुत सुंदर भावपूर्ण ताँका। पूनम सैनी बहुत सुंदर ताँका। उज्जवल भविष्य के लिए अनंत शुभकामनाएँ।
मेरे तांका को यहां स्थान देने के लिए संपादक द्वय का ह्ृदय से आभार।
हमेशा की तरह आ.अनिता जी और आ.भावना जी लाजव्वाब ताँका । पूनम जी आपके भी प्रभावी उपस्थिति ।आप सबको हार्दिक बधाई ।
सुंदर ..
अच्छे रचनाएँ इस विधा में ..
अलग अलग भावों को अपने अन्दर समाये सभी तांका बहुत बेहतरीन है...| आप तीनों को मेरी बहुत बधाई...|
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