1-डॉ.जेन्नी शबनम
1
2-कृष्णा वर्मा
वर्षा की बूँदें
उछलती- गिरती
ठौर न पाती
मौसम बरसाती
माटी को तलाशती ।
2
ओ रे बदरा
इतना क्यों बरसे
सब डरते
अन्न -पानी दूभर
मन रोए जीभर ।
3
मेघ दानव
निगल गया खेत,
आया अकाल
लहू से लथपथ
खेत व खलिहान ।
4
बरखा रानी
झम -झम बरसी
मस्ती में गाती
खिल उठा है मन
नाचता उपवन ।
5
प्यासी धरती
अमृत है चखती
सोंधी- सी खूश्बू
मन को लुभाती
बरखा तू है रानी।
-०-2-कृष्णा वर्मा
1
जीवन होता
कबड्डी के खेल-सा
छूने दिया तो हारे ,
विजय रेखा
छूने बढ़े तो खींचे
दौड़के लोग पीछे।
2
दुनिया है ये
साहिल न सहारा
न कहीं भी किनारा
हैं तन्हाइयाँ
मरी यहाँ रौनकें
बची रुसवाइयाँ।
3
बाँटते रहे
समझ कर प्यार
ये खुशियाँ उधार,
लौटाया नहीं
जब तूने उधार
मरा दिल घाटे से।
4
बुनी चाहतें
पिरोते रहे ख़्वाब
तुम्हारी दुआओं में,
होती शिद्दत
मिल ही जाता
प्रेम
फरियाद के
बिना ।
5
दोनों अदृश्य
प्रार्थना औ विश्वास
अजब अहसास
असंभव को
संभव करने की
क्षमता बेहिसाब।
6
मेरे स्वप्न की
मुँडेर पर माँ
रख देती है दिया
अँधेरा मिटा
मिल जाती है दिशा
स्वप्न की उड़ान को।
-0-
11 टिप्पणियां:
जेन्नी शबनम जी, कृष्णा जी बहुत सुंदर सृजन।
शबनम जी और कृष्णा जी को साधुवाद | सु. व. |
बहुत सुन्दर सेदोका और ताँका । शबनम जी व कृष्णा जी को बधाई ।
सुंदर सृजन के लिए जेन्नी जी को बधाई।
शबनम जी का २और ३ नं.का ताँका आजकल के यथार्थ का सुन्दर चित्रण प्रश्न बन कर उभरा है ,कृष्णा जी का अंतिम सेदोका माँ पर लिखा अच्छा लगा |
पुष्पा मेहरा
सुंदर अभिव्यक्ति के लिए जेन्नी शबनम जी और कृष्णा जी को बहुत-बहुत बधाई।
बहुत ही प्यारे तांका और मनभावन सेदोका हैं...| आप दोनों को मेरी हार्दिक बधाई...|
बहुत सुन्दर रचनाएँ , बधाई !
सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई
beautiful
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