1-सुदर्शन
रत्नाकर
1
इतनी सारी
सुनहरी किरणें
कहाँ से लाए सूर्य
खुद नहाए
उन्हें भी नहलाया
सागर के जल में।
2
किया स्वागत
सागर लहरों ने
थाम लिया बाहों में
अद्भुत नर्तन
नाची किरणें संग
सागर भी शर्माया ।
3
अभिमान में
उठते गए ऊँचे
छोड़ गईं किरणें
हुए अकेले
भटके दिन भर
भीषण आतप में।
हुए विनम्र
झुके आसमान में
पाया फिर से रूप
वापस आईं
नारंगी वो किरणें
बँधी आलिंगन में।
-0-
1 टिप्पणी:
खूबसूरत सेदोका के लिए बहुत बधाई...|
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