1-मेरा ये भाई
ज्योत्स्ना प्रदीप
वो भोला- भाला
सरल हृदय-सा
कभी पीर -सा
कभी देवालय -सा |
कभी प्रहरी
कभी सख्त पिता-सा
कभी गुरु है
तो कभी है मित्र -सा |
उसकी पीर
मेरी है नीर बनें
बिन उसके
स्वप्न अधीर बनें |
कितना मेरा
कितना अपना- सा
छली जग में
मोहक सपना-सा |
प्रारब्ध है या
पावन कर्म कोई
पर पीर में
उसकी आँखे रोई
ये बंधन है
मंत्र औ अजान है
जो भैया मेरा
भोर का वो गान है ।
मेरा अभिमान है |
2
2-वृक्ष का वध
ज्योत्स्ना प्रदीप
तुमने आज
वृक्ष नहीं काटा है
छीना है भू का
सुन्दर आभरण
हरिताभ -सा |
समाधि से टूटे हैं
मिट्टी के कण
इत्र लूटा हवा का
ये खग प्यारे
टूटे नीड़ निहारें
वो कोकिल है भली
छीनी उसकी
प्यारी गायन स्थली !
वह लड़की
जो तोड़ती थी पुष्प
भोर मे प्यारे
उसका आना बंद !
भोला श्रमिक
जो लेता था आनन्द
तरु के तले
धूप में आज जले ।
कुछ सोचा है ?
बिन शुद्ध श्वासों के
कहाँ जाएँगे !
ये जीव -जंतु सारे ?
पीड़ा ।हमारी
एक वृक्ष का वध
विनाशकारी
भविष्य होगा भारी
पर्यावरण
बनाना है सुखद
काटो न पेड़
पार करो न हद
जान लो तुम-
पादप तो संत हैं |
ये हैं ,तो बसंत है
।
-0-
12 टिप्पणियां:
बहुत खूब वाहह्ह्ह्ह्
बहुत सुन्दर ...मनोमुग्धकारी !
हार्दिक बधाई आपको |
रक्षाबंधन के पवन पर्व पर सभी को बहुत शुभकामनाएँ !!
भाई और प्रकृति दोनों पर बहुत सुन्दर चोका. ज्योत्स्ना जी को बधाई.
दोनों चोका बहुत ही सुंदर हैं | ज्योत्स्ना जी बधाई|
पुष्पा मेहरा
ज्योत्सना जी बेहतरीन संदेश....शुभकामनाएं
दोनों चोका बहुतसुंदर ज्योत्स्नाजी । बधाई
भाई के विभिन्न रूप पिता, गुरु, मित्र देखने को मिले।
इत्र लूटा हवा का------सुंदर प्रयोग, पर्यावरण की चिंता करना वाज़िब है।
बहुत अच्छे लगे दोनों चोका।
अतिसुन्दर! बहुत ही प्यारे दोनों चोका ...मन मोह लिया!
हार्दिक बधाई ज्योत्स्ना जी!
~सादर
अनिता ललित
dono choka bahut bhavpurn meri dher saari badhai...
सादर नमन है भैया जी एवं हरदीप जी को जो हमें यहाँ स्थान देते रहते हैं.. साथ ही आभारी हूँ आप सभी की ये आपकी उदार प्रतिक्रियाएं बहुत कुछ दे जाती हैं हमें !
ज्योत्सना जी दोनों चोके बहुत भावपूर्ण ।बधाई ज्योत्स्ना जी
ज्योत्सना जी, एक तरफ प्यारे से भाई की मनमोहक छवि से सजे चोका ने मन मोह लिया, वहीं आपके दुसरे चोका ने एक बहुत सार्थक प्रश्न सामने रखा है...|
इन दोनों चोका के लिए बहुत बहुत बधाई...|
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