1-अमूल्य
उपहार
शशि पाधा
वो
नन्हें-नन्हें पाँव बढ़ाता, धीमे-धीमे चल रहा था । उसके होठों की मुस्कान एवं आँखों
की चमक में कुछ रहस्य छिपा था ।अब वो थोड़ा पास आ गया था । मैंने देखा कि उसके नन्हें-नन्हें,कोमल
हाथों में तीन शाखों वाली कुछ लंबी सी दूर्वा (हरी घास) धीमे-धीमे डोल रही थी ।
मैं उसे कुछ
दूर से बड़ी उत्सुकता से देख रही थी और सोच रही थी कि वो उस टहनीनुमा घास को लेकर
कहाँ जा रहा था । अरे, वो तो मेरी ओर ही आ रहा था । अपने दायें हाथ में घास की उस
छोटी -सी दूर्वा को उठाकर वो ऐसे चल रहा था ,मानों सुमेरु पर्वत का भार वहन कर रहा
हो ।
मेरे पास
आते ही उसकी आँखों की चमक चौगुनी हो गई और मुस्कान उसके कोमल होठों से उसके कानों
तक एकरस हो गई । मैं भी चुपचाप उसे देख रही थी कि आखिर वो क्या करने जा रहा है,
कहाँ जा रहा है ।
मेरे पास
पहुँचते ही उसने मुस्काते हुए दूर्वा को मेरी और बढ़ाया और कहा-“दादी, आपके लिए फूल
!”
‘वो’ मेरा
पौने तीन वर्ष का पोता ‘शिवी’ है और उस अमोल उपहार को पाकर गद्गद होने वाली उसकी दादी, मैं-शशि पाधा ।
निर्मल मन
अमूल्य
उपहार
भीगे नयन ।-0-
6 टिप्पणियां:
Good
दादी को मिला अमूल्य उपहार, शायद हर दादी ऐसे ही उपहार की कामना करती है।
दादी के प्रति पोते के असीम प्यार का प्रतीक हाइबन है यह । ऐसा प्रेमपूर्ण उपहार पाकर दादी कैसे न निहाल होगी । पढ़कर मन खुश हो गया नन्हे बच्चों के मन मोहक कार्य सब को लुभा लेते है ।
बहुत प्यारा हाइबन !
हार्दिक बधाई शशि दी !!प्रिय शिवी के लिए बहुत शुभकामनाएँ !!
बहुत प्यारा हाइबन ....बहुत प्यारा है अमूल्य उपहारधाई शशि दी !!
दादी - पोते के असीम प्यार के लिए बहुत शुभकामनाएँ !!
आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद | शिवी को आशीष मिला और मुझे आप सब का स्नेह | है ना यह भी अनुपम उपहार !
मंगल कामनाओं सहित,
शशि पाधा
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