1-पुष्पा मेहरा
1
फेरो न पानी
संस्कारों-आदर्शों पे
हीरे मन के
मिले ये पुरखों से
ज्यों नभ में सितारे
2
छोटा या बड़ा
कोई ना जगत में
छिपता चंदा
छिपते न सितारे
जाने यह अम्बर ।
3
गहराई है
बदरी काली-काली
आई तरंग
घन्ना उठी बिजली
चमकीं असि धारें।
4
समन्दर है
लालसाओं का सारा
बना न सके
बाँध कभी इसपे
ये हमें ही बाँधता।
-0-Pushpa.mehra@gmail.com
-0-
-कृष्णा वर्मा
1
सब ग़म चुपचाप सहे
बाँटें दुख कैसे
हमदर्दी अब न रहे।
-0-
#-डॉ सरस्वती माथुर
1
कब आयेगी पाती
बैठी हूँ साजन
करके दीया बाती।
2
सपने ठहरे -ठहरे
ज़ख़्म दिये तूने
हैं बहुत अधिक गहरे।
3
चरखा है यादों का
पलकों से
काता
सपना बस वादों का।
4
नैना मेरे नम हैं
छोड़ गए वो
तो
मन में ग़म ही ग़म है ।
8 टिप्पणियां:
आप तीनो रचनाकारों की रचनाएं भावों से ओत प्रोत हैं हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ।
आप तीनों वरिष्ठ रचनाकारों की अनुभूतियाँ समाज का आईना हैं .
बधाई
सभी ताँका बहुत भावपूर्ण है. पुष्पा जी को बधाई.
कृष्णा जी और सरस्वती जी को सुन्दर माहिया के लिए बहुत बहुत बधाई.
मेरे ताँका को त्रिवेणी में स्थान देने हेतु भाई जी का आभार,एक ओर कृष्णाजी का माहिया टूटे-बिखरे सम्बन्धों की रुक्षता का दर्पण है तो माथुर जी के माहिया भी सावन के महीने में अपनों की बेवफ़ाई का संदेश देते अच्छे बन पड़े हैं,दोनों को बधाई | सविता जी ,मंजु जी व जेन्नी जी को उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद |
पुष्पा मेहरा
सुन्दर भावपूर्ण तांका, तथा खूबसूरत सावन के माहिया के लिए पुष्पा मेहरा जी, सरस्वती जी आप दोनों को बहुत बधाई।
बहुत अच्छी और बेहतरीन रचनाएँ...आप सभी को हार्दिक बधाई...|
सुन्दर ,मोहक भाव भरी रचनाएँ !
आ पुष्पा दीदी, कृष्णा दीदी एवं सरस्वती माथुर जी को बहुत शुभ कामनाएँ !!
भावपूर्णरचनाएँ !
कृष्णाजी, पुष्पा मेहरा जी, एवं सरस्वती माथुर जी को बहुत शुभ कामनाएँ और बधाई । !!
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