- जेन्नी शबनम
यह दुनिया
ज्यों अजायबघर
अनोखे दृश्य
अद्भुत संकलन
विस्मयकारी
देख होते हतप्रभ !
अजब रीत
इस दुनिया की है
माटी की मूर्ति
देवियाँ पूजनीय
निरपराध
बेटियाँ हैं जलती
जो है जननी
दुनिया ये रचती !
कहीं क्रंदन
कहीं गूँजती हँसी
कोई यतीम
कोई है खुशहाल
कहीं महल
कहीं धरा बिछौना
बड़ी निराली
गज़ब ये दुनिया !
भूख से मृत्यु
वेदना है अपार
भरा भण्डार
सम्पत्ति बेशुमार
पर अभागा
कोई नहीं अपना
सब बेकार !
धरती में दरार
सूखे की मार
बहा ले गया सब
तूफानी जल
अपनी आग में ही
जला सूरज
अपनी रौशनी से
नहाया चाँद
हवा है बहकती
आँखें मूँदती
दुनिया चमत्कार
रूप-संसार !
हम इंसानों की है
कारगुजारी
हरे-घने जंगल
हुए लाचार
कट गए जो पेड़ ,
हुए उघार
चिड़िया बेआसरा
पानी भी प्यासा
चेत जाओ मानव !
वरना नष्ट
हो जाएगी दुनिया
मिट जाएगी
अजब ये दुनिया
गजब ये दुनिया !
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8 टिप्पणियां:
मानव निर्मित समस्याओं को उजागर करती सशक्त रचना .
बधाई
आज की समस्याओं की सशक्त अभिव्यक्ति ।सुंदर चोका जेन्नीजी
आजकल के हालातों पर रोशनी डालता चोका,सुंदर अभिव्यक्ति| बधाई
पुष्पा मेहरा
सशक्त रचना, बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति जेन्नी जी बधाई!
बहुत कटु सत्य इस सुन्दर रचना के माध्यम से आपने बयान कर दिया है...| हार्दिक बधाई...|
सुन्दर , सशक्त अभिव्यक्ति जेन्नी जी ...हार्दिक बधाई !!
बहुत ।सुंदर चोका ...जेन्नी जी.हार्दिक बधाई! !!
bahut sundar....
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