1
भोर की दौड़
थी साँझ तक चली
होड़-सी मची
साथी रूठते गए
पीछे छूटते गए।
2
मंजिल वहाँ
जिसे ढूँढने चले
गुम हो गए
वो कदमों के निशाँ,
पर रुकना कहाँ ।
-0-
2-कृष्णा वर्मा
1
रात औ दिन
हाथ में मोबाइल
बातों में मग्न
तन-मन को घेरे
फिर एकाकीपन।
2
तरीके तौर
गए सब बदल
मरे संस्कार
इंसानी रिश्ते में जो
आया मंदी का दौर।
-0-
3-रामेश्वर
काम्बोज ‘हिमांशु’
(16 फरवरी-18)
1
थके पाँव थे
दूर-दूर गाँव थे
सन्नाटा खिंचा,
लगा कुछ न बचा-
कि आप मिल गए
2
राहें कँटीली
चुभन व कराहें
बाधाएँ बनी
पास में ही छाँव थी
कि फूल खिल गए।
3
तलाशा जिसे
भोर से साँझ तक
सूखा हलक
नदी- तीर पर मिले
मन दोनों के खिले।
4
रेत -सी झरी
भरी -पूरी ज़िन्दगी
कुछ न बचा
था सुनसान वन
कि पार था चमन ।
5
भोर -सी मिली
साँझ -सूरज हँसा
कि आज कोई
आके मन में बसा
वह भोर थी तुम्हीं ।
6
घेरते रहे
बनके रोड़े कई
हारने लगे
जब अकेले पड़े
तुम साथ थे खड़े।
7
कामना यही-
जब तन में बचे
साँस आखिरी
अधरों पे हास हो
सिर्फ़ तुम्ही पास हो।
8
मुट्ठी में कसा
बस तेरा हाथ हो
सदा साथ हो
जितनी साँसें बचें
कुछ नया ही रचें।
-0-
17 टिप्पणियां:
सभी रचनाकारों को बधाई, अच्छी रचनाओं हेतु।
आप सभी को बहुत ही अच्छी रचनाओं हेतु हार्दिक बधाई
आप सभी को बहुत ही अच्छी रचनाओं हेतु हार्दिक बधाई
सुन्दर सृजन के लिए आप सभी को बहुत- बहुत बधाई !
beautiful
बधाई, सभी रचनाकारों को, सुन्दर ताँका हेतु।
जीवन से जुड़े सुन्दर ताँका के लिये सभी स्नेही सृजनकारों को हार्दिक बधाई ।
बहुत सरस ,सुन्दर भावपूर्ण ताँका रचनाएँ !
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई !!
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' १९ फरवरी २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
विशेष : आज 'सोमवार' १९ फरवरी २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच ऐसे एक व्यक्तित्व से आपका परिचय करवाने जा रहा है। जो एक साहित्यिक पत्रिका 'साहित्य सुधा' के संपादक व स्वयं भी एक सशक्त लेखक के रूप में कई कीर्तिमान स्थापित कर चुके हैं। वर्तमान में अपनी पत्रिका 'साहित्य सुधा' के माध्यम से नवोदित लेखकों को एक उचित मंच प्रदान करने हेतु प्रतिबद्ध हैं। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य"
कितने प्यारे तांका हैं सभी...|
आप सभी को मेरी बहुत बहुत बधाई...|
वाह! बहुत खूब!!
Wah, Such a wonderful line, behad umda, publish your book with
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आप सब वरिष्ठ रचनाकारों के साथ मेरे ताँका का प्रकाशन , मेरे लिए सौभाग्य की बात है ..सभी का सादर आभार । सभी ताँका बहुत सुंदर सार्थक ।
सुनीता जी कमला जी कृष्ण जी
बेहतरीन सृजन
हार्दिक बधाई!!
आदरणीय सर!
आपका तांका सृजन जहा उम्दा भावनाओं का हृदयस्पर्शी प्रस्फुटन करता करता है।वहीं एक सामान्य पाठक एवं लेखक को तांका लिखने की कला का सहज ही ज्ञान दे जाता है।
नमन!!
बहुत सुंदर प्रस्तुति
सभी रचनाकारों को बधाई
अतिसुन्दर! एक से बढ़कर एक आप सभी के ताँका! बहुत-बहुत बधाई आप सबको!!!
~सादर
अनिता ललित
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