मंगलवार, 2 मई 2023

1122

 सेदोका

प्रीति अग्रवाल

1.
जब भी माँगा
तुम्हारा साथ माँगा
तुम्हारा प्रेम माँगा
इससे ज़्यादा
न चाहा कभी कुछ
न चाहूँगी कभी मैं।
2.
नींद न आई
उलझे रहे नैना
सपने तलाशते
जो नहीं मिले
ढूँढेंगे फिर आज
यही रोज़ का काम।
3.
सूर्यमुखी- सा
मन तेरी ही ओर
मुड़ता चला गया
रोके न रुका
अपलक तकता
टोहता चला गया।
4.
थके नयन
राह तक- तकके
तुम जबसे गए
संग हो चले
मेरे भूख-प्यास भी
हँसी, मनुहार भी!
5.
होठों की प्यास
बादलों ने बुझाई
जमके बरसाई
बूँदों की झड़ी
सुलगते मन को
शांत न कर पाई।
6.
जब सर पे
न छत, न ठिकाना
न कोई सरमाया
तू आ पहुँचा
तान प्रेम छतरी
समेटा, सम्भाला भी!!
7.
सर्द हवाएँ
प्रत्येक घर जाएँ
किवाड़ खड़काएँ
सें लगाएँ
"प्रवेश निषेध है"
हताश लौट आएँ
8.
बात जिया की
उमड़- घुमड़के
अधर किवड़िया
तक तो आए
पर संकोचवश
लौट, दुबक जाए।
9.
चढ़ी है भोर
चढ़े हैं संग- संग
स्वप्न, अभिलाषा
मन जिज्ञासा
कुछ कर दिखाऊँ
अपना हक पाऊँ!
10.
छुपी बैठी है
हृदय के कोने में
एक नन्ही बालिका
कुतरे पंख
ड़ूँ तो उड़ूँ कैसे
सोचती, वो बलिका।
-0-