सुदर्शन रत्नाकर ।
1
चहचहाती
नीले पंख फैलाती
स्वच्छंद उड़ी
आसमान नापती
वह नन्ही चिड़िया
।
2
तुम्हारी आँखें
बोलती रहतीं हैं
कुछ कहतीं
भावनाओं से भरी
खुशी है झलकती ।
3
चाँद आया था
उजियारा लेकर
मेरे आँगन
पर मैं सोती रही
खिड़की बंद किए ।
4
पेड़ों से छन
उतरती किरणें
नव सूर्य की
भरतीं तन मन
स्फ़ूति नव स्पंदन
।
5
सोचती रही
लौट कर आएगा
वक़्त -पखेरू
उड़ा, उड़ता गया
हँसता मुझ पर ।
6
भोर होते ही
बहीं ठंडी हवाएँ
पंछी हैं जगे
पत्तियाँ
गुनगुनाईं
सूरज मुस्कुराया ।
9 टिप्पणियां:
सभी ताँका बहुत सुन्दर !
सोचती रही
लौट कर आएगा
वक़्त -पखेरू
उड़ा, उड़ता गया
हँसता मुझ पर ।- जीवन का सच!
~सादर
अनिता ललित
bsabhi tanka achhe hain , tumhari ankhen,chand aya tha in do ke bhav bahut achhe lage sudershan ji apko badhai.
pushpa mehra.
sundar tanka suradshan ji hardik badhai
हरेक तांका में एक नया खूबसूरत अहसास |
सुन्दर अभिव्यक्ति आदरणीय सुदर्शन जी |
शशि पाधा
नन्ही चिड़िया ,तुम्हारी आँखें ,वक्त पखेरू ,चाँद आया ..क्या कहिए मन को प्रसन्नता से भरते बहुत सुन्दर ,मधुर ताँका ..हार्दिक बधाई दीदी !
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
Sunder taankaa hain sudarshan ji .Badhaai .
man mein nav sfurti bharte ....khoobsurat ahsaas liye...sabhi taanka manmohak..badhai ke saath-
चहचहाती
नीले पंख फैलाती
स्वच्छंद उड़ी
आसमान नापती
वह नन्ही चिड़िया ।
Bahut khub ! bahut bahut badhjai...
मनमोहक तांका...हार्दिक बधाई...|
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