शुक्रवार, 12 जून 2020

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1-कमल कपूर
1
 ब्रह्मा कि है ये
 सर्वश्रेष्ठ रचना
 धवल रूप
 ज्यों सुबह की धूप
 संजीवनी-सी बेटी।
2
 हो बेखबर
 अपने भविष्य से
 इतरा रही
 उड़ती फिर रही
 तितली-सी लड़की।
3
 फूल चुनती
 नर्म ख़्लाब बुनती
 नन्हे नैनों में
 कपास-कुसुम सी
 मुलायम लड़की।
4
 मंज़िल दूर
 हो दुश्वार डगर
 नहीं मुश्किल
 साथ चले अगर
 प्यारा हमसफ़र।
5
 नभ- पटल
 और नदी-नीर को
 रंग नील में
 देती नित प्रकृति
 ये नीलाभ नज़ारे।
6
 पथ एकाकी
 मौसम अनुकूल
 या प्रतिकूल
 बढ़ लक्ष्य की ओर
थाम आशा कि डोर।
7
 उड़े हो धुआँ
 गुज़रे काले कल
 नदी किनारे
 बैठे जो चार पल
 गगन की छाँव में।
8
 माँ - जैसी धरा
 पिता-सा आसमान
 जुटाते सतत
 जीवन का सामान
 है ज़िन्दगी आसान।
9
 चिरैया बन
 उड़ने को तत्पर
 अनवरत
 खोजे मुक्त गगन
 ये अलबेला मन।
10

 फैला साँझ का
 सुनहरा आँचल
 रँगेगी रात
 इसे स्याह रंग में
टाँकेगी चाँद-तारे।

11
 
स्वर्णिम पथ
 सप्त अश्वों का रथ
 ले आए रवि
 रश्मिरथी की स्तुति
 गा रहे हैं सुकवि।
-0-कमल कपूर, 2144 / 9, फ़रीदाबाद-121006 हरियाणा
 मोबाइल – 09873967455


6 टिप्‍पणियां:

Shiam ने कहा…

कमल कपूर जी की इस भोली -भाली बालिका पर लिखी हुयी कविता अंग्रेज़ी के महान कवि वर्डस्वर्थ की "Solitary Reaper " की याद दिलाती है | अति सुंदर भाव पूर्ण रचना | श्याम हिन्दी चेतना

Vibha Rashmi ने कहा…

कमल कपूर जी के कोमल बिटिया के व अन्य सभी ताँका बहुत सुन्दर बन पड़े हैं । बधाई।

Shashi Padha ने कहा…

बहुत ही कोमल भावों और शब्दों से बेटी के होने के सुख का वर्णन किया है आपने | हर रचना में उसके सुखद भविष्य की कल्पना | बहुत सुंदर अनुभूति हुई इन्हें पढ़ कर | आभार |
शशि पाधा

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

कमल जी ने बेहद खूबसूरती से अपनी कोमल और आशावान अनुभूतियों को शब्दों का जामा पहनाया है, बहुत बधाई और शुभकामनाएँ...।

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

कोमल भाव के सभी ताँका बेहद खूबसूरत...कमल जी को बधाइयाँ....और उनके बीच यह ताँका चिंतनीय |
हो बेखबर
अपने भविष्य से
इतरा रही
उड़ती फिर रही
तितली-सी लड़की।

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बहुत कोमल एहसास. सभी ताँका बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण. बधाई कमल जी.