सुदर्शन रत्नाकर
1
बहती तेज़ हवाएँ
बूँदों
से मिलके
मन में आस जगाएँ।
2
लोगों से मत डरना
तेरे बिन साजन
अब जीकर क्या करना।
3
चुप-चुप क्यों रहते हो
मन की बात करो
कितने दुख सहते हो
4
झूम रहा बादल है
मिलने को आतुर
यह दिल तो पागल है।
5
ऊँची दीवारें हैं
तुम बिन सूना घर
बेकार बहारें हैं।
6
फूलों की क्यारी है
बेटी बोझ नहीं
वो सब की प्यारी है।
7
काजल तो काला है
केवल ईश्वर ही
सबका रखवाला है।
8
छाया अँधियारा है
मत घबरा साथी
आगे उजियारा है।
9
आँसू या मोती हैं
चाँद चमकता है
रजनी क्यों रोती है।
1०
समय बुरा आया है
अपने ही घर में
अब क़ैद कराया है
-0-
सुदर्शन रत्नाकर
मोबाइल-9811251135
12 टिप्पणियां:
सुन्दर सृजन
वाह, बहुत सुंदर
बहुत सुन्दर हाइकु !
हार्दिक बधाई आदरनीया!
सादर
बहुत सुंदर हाइकु....
सुन्दर माहिया....बधाई आपको ।
काजल तो काला है .........वास्तविकता पर आधारित माहिया है ,शेष सभी माहिया भी तथ्य परक हैं बधाई सुदर्शन जी
पुष्पा मेहरा
सभी माहिया मनमोहक हैं आद.दीदी |
समय बुरा आया है
अपने ही घर में
अब क़ैद कराया है |
आज के संदर्भ में कितना सही लिखा आपने.. हार्दिक बधाई आपको !
माहिया
ज्योत्सना जी,पुष्पा जी,सुरंगमा जी,कैलाश बाजपेयी जी,सुशील कुमार जी प्रतिक्रिया कर प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक आभार
रश्मिजी,ऋषभ जी,माहिया पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
माहिया प्रकाशित करने के लिए हार्दिक आभार भैया।
आ. सुदर्शन दीदी जी... सभी माहिया एक से बढ़कर एक ...मन को छूने वाले! सादर नमन एवं बहुत बधाई आपको!
~सादर
अनिता ललित
बहुत सुंदर सभी माहिया..हार्दिक बधाई आपको दी।
बहुत अच्छे माहिया हैं, मेरी बधाई |
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