रविवार, 10 जनवरी 2021

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 मंजूषा मन

1

अम्मा ने रोपा

तुलसी का बिरवा

पावन हुआ,

घर, आँगन, मन

सुवासित पवन।

2

साँझ का दीया

तुलसी चौरे पर

अम्मा ने धरा,

नेह से सुवासित

पावन हुई धरा।

3

पूजा की थाली

सजे दीप अक्षत

प्रार्थना वाली

नित भोर जो माँगी,

कभी जाएँ न खाली।

10 टिप्‍पणियां:

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

सुंदर सृजन।

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

वाह बेहद सुंदर तांका, आपको बधाई मंजुषा जी!

Ramesh Kumar Soni ने कहा…

साँझ और तुलसी पर सुंदर ताँका बधाई ।

Sudershan Ratnakar ने कहा…

बहुत सुंदर ताँका ।बधाई मंजूषा जी।

शिवजी श्रीवास्तव ने कहा…

वाह, बहुत सुंदर,साँस्कृतिक गौरव को रेखांकित करते मनभावन ताँका।बधाई मंजूषा जी।

मंजूषा मन ने कहा…

हार्दिक आभार सविता जी

मंजूषा मन ने कहा…

हार्दिक आभार प्रीति जी

मंजूषा मन ने कहा…

हार्दिक आभार आ० रमेश जी

मंजूषा मन ने कहा…

हृदयतल से आभार आदरणीय सुदर्शन दीदी

मंजूषा मन ने कहा…

हार्दिक आभार शिव जी