ताँका-चोका- सेदोका -माहिया-हाइबन
मंजूषा मन
1
अम्मा ने रोपा
तुलसी का बिरवा
पावन हुआ,
घर, आँगन, मन
सुवासित पवन।
2
साँझ का दीया
तुलसी चौरे पर
अम्मा ने धरा,
नेह से सुवासित
पावन हुई धरा।
3
पूजा की थाली
सजे दीप अक्षत
प्रार्थना वाली
नित भोर जो माँगी,
कभी जाएँ न खाली।
सुंदर सृजन।
वाह बेहद सुंदर तांका, आपको बधाई मंजुषा जी!
साँझ और तुलसी पर सुंदर ताँका बधाई ।
बहुत सुंदर ताँका ।बधाई मंजूषा जी।
वाह, बहुत सुंदर,साँस्कृतिक गौरव को रेखांकित करते मनभावन ताँका।बधाई मंजूषा जी।
हार्दिक आभार सविता जी
हार्दिक आभार प्रीति जी
हार्दिक आभार आ० रमेश जी
हृदयतल से आभार आदरणीय सुदर्शन दीदी
हार्दिक आभार शिव जी
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10 टिप्पणियां:
सुंदर सृजन।
वाह बेहद सुंदर तांका, आपको बधाई मंजुषा जी!
साँझ और तुलसी पर सुंदर ताँका बधाई ।
बहुत सुंदर ताँका ।बधाई मंजूषा जी।
वाह, बहुत सुंदर,साँस्कृतिक गौरव को रेखांकित करते मनभावन ताँका।बधाई मंजूषा जी।
हार्दिक आभार सविता जी
हार्दिक आभार प्रीति जी
हार्दिक आभार आ० रमेश जी
हृदयतल से आभार आदरणीय सुदर्शन दीदी
हार्दिक आभार शिव जी
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