रश्मि विभा त्रिपाठी 'रिशू'
सूरज दादा बादलों का लिहाफ़ ओढ़े आँखें मींचे देर तक सोये रहे... मगर ज्यूँ ही अपलक देखा.... श्वेत चादर सर से खिसक पड़ी... धरा मुँह उघाड़े पहले तो हँस पड़ी...फिर सोचने लगी
धीरे-धीरे गर्मी का ताप चरम पर पहुँचेगा...हिम-शैल भी पिघलने लगेंगे....
जेठ की तपती धूप जब तपा देगी...
झुलसती दोपहर फिर कहाँ विश्राम पाएगी ?
इस शहर में तो कोई ऐसी जगह नहीं ?बाट जोहती
कि दिन ढले सन्ध्या रानी के आँचल में छिप जाएँ..फिर लू के गर्म थपेड़े संभवत: न सता
पाएँ....
वो गाँव का बरगद आज भी बहुत याद आता है...न जाने किस हाल में होगा ?अब होगा भी या नहीं ?
रुआँसा हो गया मन...नहीं ! नहीं ! वो चिरंजीवी रहे...उसने लाखों को
जीवन दिया...अपने आँचल में पाला है...
उसके समान कहीं कोई भी नहीं...एक वो ही है... जो सब पर ही अपना निस्वार्थ
नेह लुटाने वाला है ...
बहुत बूढ़ा हो चुका होगा शायद पानी भी न देता होगा कोई उसे..वो अकेला
होगा।किसी को याद आती होगी उसकी ....?
क्या स्मृतियों में हरा-भरा होगा वह अभी तक ?किसी ने कभी सुध ली होगी उसकी ?
जिसकी शाखाओं ने अपनी बाहों में भर जी भर हर एक बचपन झुलाया....
अपनी घनी शीतल छाँव देकर गर्मी के भीषण कहर से बचाया ।
वो प्यारा गाँव
जहाँ थे दानी वृक्ष
बाँटते छाँव ।
17 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर हाइबन। बधाई
बहुत सुंदर हाइबन...बधाई रश्मि जी।
रश्मी जी ,आपकी रचना पढकर मुझे मेरा बचपन और मेरा गाँव याद आ गया | मेरे घर के सामने जो बरगद का वृक्ष था जिसका चित्रण आपने किया वह बिलकुल वैसा है | न जाने वह बरगद अब होगा या नहीं मेरे लिए वह एक इतिहास का बड़ा पृष्ठ था| अति सुंदर भावों से परिपूर्ण आपने हृदय स्पर्श कर दिया |गागर में सागर भर दिया| नव वर्ष का सुंदर उपहार | शुभकामनाओं सहित -श्याम त्रिपाठी हिन्दी चेतना
बहुत सुंदर
नव वर्ष मंगलमय हो। सुन्दर सृजन।
बहुत सुंदर हाइबन रश्मि जी, आपको बधाई!
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय।
मैं बहुत खुश हूँ कि मेरा लिखना सार्थक रहा।
मेरी लेखनी का मनोबल बढ़ाती आपकी टिप्पणी का मैं हार्दिक आभार व्यक्त करती हूँ।
नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर-
रश्मि विभा त्रिपाठी 'रिशू'
मेरी लेखनी का उत्साहवर्धन करती आपकी टिप्पणी का हार्दिक आभार आदरणीया।
नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर-
रश्मि विभा त्रिपाठी 'रिशू'
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया।
मेरा लिखना सार्थक रहा।
नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर-
रश्मि विभा त्रिपाठी 'रिशू'
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया।
नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर-
रश्मि विभा त्रिपाठी 'रिशू'
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय।
आपको भी नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर-
रश्मि विभा त्रिपाठी 'रिशू'
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया।
मुझे बेहद खुशी है कि आपको मेरा हाइबन पसंद आया।
लेखनी का उत्साहवर्धन करती आपकी टिप्पणी का पुन: हार्दिक आभार।
नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर-
रश्मि विभा त्रिपाठी 'रिशू'
बहुत सुंदर हाइबन,बधाई रश्मि जी
बहुत सुंदर हाइबन,आपको हार्दिक बधाई रश्मि जी!
गाँव और उसकी भोर के साथ वृक्षों की छाँव पर जितना भी लिखा जाए कम ही है । यह अनुभव का विषय है , आपने अच्छा लिखा है -बधाई ।
सजीव सुहाना हाइबन
सुंदर चित्रण , सुंदर हाइबन
बधाइयाँ रश्मि जी
एक टिप्पणी भेजें