1-ताँका/भीकम सिंह
1
शब्द हैं कहाँ
प्यार में संकेत हैं
उन्हीं को भेजा
बनाकर वजह
चिट्ठियों की जगह ।
2
प्रेमी मन ने
ज्यों डूबने की ठानी
प्यार की कुछ
हुई मेहरबानी
फिर, चादर
तानी ।
3
खुले देह के
मुश्किल वाले बंध
मेरे पक्ष में
मन भॅंवरा चाहे
आसमान कक्ष में ।
4
प्रीत की ऑंखें
ऑंसू से भर आईं
आधी रात में
एक अक्स उभरा
अँधेरे के गात में ।
5
प्यार हमारा
सागर पे हो जैसे
वाष्प का छोर
काली घटा में पले
बरसे चारों ओर ।
6
होड़ -सी करें
टिमटिमाते तारे
प्रेम के लिए
टूटते रहते हैं
जाँ हथेली पे लिये ।
-0-
2-माहिया/
सुशीला शील
1.
बादल तुम क्या जानो
कौन जला कितना
जन्मे तुम तब मानो।
2.
टिप-टिप बूँदें बरसीं
धानी चूनर फिर
ओढ़े धरती हुलसी।
3.
सुन लो बदरा कारे
बरसो हद ही में
जाएँ ना हम मारे।
4.
सावन के झूले हैं
सपनों की पींगे
सुधियों के रेले हैं।
-0-
8 टिप्पणियां:
भीकम सिंह जी के प्यार पगे ताँका और सुशीला जी के बरखा सम्ब्बंधी सुंदर माहिया के लिए हार्दिक बधाई।सुदर्शन रत्नाकर
बहुत सुंदर माहिया, हार्दिक शुभकामनाऍं।
बहुत ही सुन्दर
आदरणीय भीकम सिंह जी के बहुत बहुत सुंदर ताँका। हार्दिक बधाई 💐🌷
आदरणीया सुशीला जी को सुंदर माहिया के लिए हार्दिक बधाई
सादर
होड़ -सी करें
टिमटिमाते तारे
प्रेम के लिए
टूटते रहते हैं
जाँ हथेली पे लिये ।
भीकम सिंह जी को हार्दिक बधाई, अच्छे ताँका हैं।
सुशीला जी को भी बधाई।
बहुत सुंदर ताँका एवं माहिया!
~सादर
अनिता ललित
अति सुन्दर ताँका व माहिया,रचनाकार द्वय को बहुत बहुत शुभकामनाएँ और बधाई।
बहुत सुंदर ताँका और माहिया...भीकम सिंह जी व सुशीला जी को हार्दिक बधाई।
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