बुधवार, 20 नवंबर 2024

1198

 भीकम सिंह 

1

प्रदूषण के

लौटते हुए पथ

कालिख में से 

उठता हुआ धुऑं

धूप ठहरी

दिन की देहरी पे

हर सुबह ,

अँधेरा लिए खड़ा 

दिल्ली का पास,

योजना पराली की 

चलती छठे -मास ।

2

बाँट देना है 

बहुत आसान- सा

जोड़े रखना 

बहुत कठिन है 

बाँटे रखना 

निर्ममता जैसा है 

और जोड़ना 

दयालुता शायद 

फिर भी आज

कुछ लोग करते 

बाँट देने का काज ।

-0-

11 टिप्‍पणियां:

Rashmi Vibha Tripathi ने कहा…

बहुत सुन्दर चोका।
हार्दिक बधाई आदरणीय

सादर

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

बहुत सुंदर और सार्थक!

Vibha Rashmi ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Vibha Rashmi ने कहा…

भीकम सिंह जी का समसामयिक विषय पर सुंदर चोका । हार्दिक बधाई ।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

surbhidagar001@gmail.com ने कहा…

बहुत ही सुन्दर।
हार्दिक बधाई आपको।

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

दोनों चोका बहुत सुन्दर और भावपूर्ण, बधाई भीकम सिंह जी

dr.surangma yadav ने कहा…

बहुत सुंदर।बहुत-बहुत बधाई सर।

बेनामी ने कहा…

समसामयिक बहुत सुंदर चोका। हार्दिक बधाई भीकम सिंह जी ।

Sushila Sheel Rana ने कहा…

भावपूर्ण, सुंदर चोका छंद। बधाई आदरणीय भीकम जी 💐

Krishna ने कहा…

बहुत सुंदर भावपूर्ण चोका... हार्दिक बधाई भीकम सिंह जी ।