भीकम सिंह
1
प्रदूषण के
लौटते हुए पथ
कालिख में से
उठता हुआ धुऑं
धूप ठहरी
दिन की देहरी पे
हर सुबह ,
अँधेरा लिए खड़ा
दिल्ली का पास,
योजना पराली की
चलती छठे -मास ।
2
बाँट देना है
बहुत आसान- सा
जोड़े रखना
बहुत कठिन है
बाँटे रखना
निर्ममता जैसा है
और जोड़ना
दयालुता शायद
फिर भी आज
कुछ लोग करते
बाँट देने का काज ।
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11 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर चोका।
हार्दिक बधाई आदरणीय
सादर
बहुत सुंदर और सार्थक!
भीकम सिंह जी का समसामयिक विषय पर सुंदर चोका । हार्दिक बधाई ।
सुन्दर
बहुत ही सुन्दर।
हार्दिक बधाई आपको।
दोनों चोका बहुत सुन्दर और भावपूर्ण, बधाई भीकम सिंह जी
बहुत सुंदर।बहुत-बहुत बधाई सर।
समसामयिक बहुत सुंदर चोका। हार्दिक बधाई भीकम सिंह जी ।
भावपूर्ण, सुंदर चोका छंद। बधाई आदरणीय भीकम जी 💐
बहुत सुंदर भावपूर्ण चोका... हार्दिक बधाई भीकम सिंह जी ।
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