माहिया
: डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
1
आँखों बरसात हुई
वीर शहीदों से
सपने में बात हुई ।
2
बोला इक मत रोना
दिल के दाग़ सभी
आँसू से मत धोना ।
3
थोड़ा समझा देना
संदेशा मेरा
घर तक पहुँचा देना ।
4
माँ ! सुत था अलबेला
वैरी की गोली
छाती पर हँस झेला ।
5
बाबा कब हारे हैं
ये मेरे साथी
सब पुत्र तुम्हारे हैं ।
6
उस गुड़िया से कहना
तू मजबूर नहीं
बन योद्धा की बहना ।
7
कहना ना हरजाई
लिपट तिरंगे में
जब घर लौटे भाई ।
8
हाँ फ़र्ज़ निभाया है
माटी का हमने
बस क़र्ज़ चुकाया है ।
9
कह देना प्यारी से
राह तके मेरी
इकटक सुकुमारी से ।
10
क्या पूछो कैसी है
वो मेरी चाहत
फूलों के जैसी है ।
11
हाथों भर हो चूड़ा
सिन्दूरी बिंदी
महके गजरा जूड़ा ।
12
वादा ना निभ पाया
कहकर भी मिलने
मैं लौट नहीं आया ।
13
थोड़ी मजबूरी थी
सीमा की रक्षा
भी बहुत ज़रूरी थी ।
14
विनती है ,सुन लेना
साँसों की डोरी
ख़ुशियों को चुन लेना ।
15
है उम्र अभी छोटी
मुश्किल है सहना
जग की नज़रें खोटी ।
16
काँटो पर मत चलना
जीवन की भट्टी
यूँ ठीक नहीं जलना ।
17
होनी से खुद लड़कर
चुन लेना साथी
कोई आगे बढ़कर ।
18
तड़पी ,फिर बोल गई
मन की सब पीड़ा
रो-रो कर खोल गई ।
19
कैसे कायर माना
क्यों ,मनमीत कहो
मुझको ना पहचाना ।
20
पूरी तैयारी है
तेरा क़र्ज़ चुका
अब मेरी बारी है ।
21
पीछे तो आना था
नन्हे को लेकिन
फ़ौलाद बनाना था ।
22
मैं वचन निभाऊँगी
माँ-बाबा मेरे
हर सुख पहुँचाऊँगी ।
23
बहना का ज़िक्र करो
ख़ूब सजे डोली
उसकी मत फ़िक्र करो ।
24
पक्की है नींव बड़ी
सुन लेना ,प्यारी
सरहद पर आन लड़ी ।
25
जब लाल बड़ा होगा
बन दीवार अटल
सरहद पे खड़ा होगा ।
26
वो पल भी आएँगे
नभ के तारों में
हम संग मुस्काएँगे ।
27
सुनकर मन डोल गया
जय उन वीरों की
सारा जग बोल गया ।
-0-
14 टिप्पणियां:
बहुत ही सुंदर अप्रतिम गाथा माहियों में।
बधाई !!
हृदय से आभार रेखा जी !
यहाँ स्थान देने के लिए संपादक द्वय के प्रति भी बहुत बहुत धन्यवाद !
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
वाहहह..उम्दाभिव्यक्ति
बेहतरीन माहिया ज्योत्स्ना जी हार्दिक बधाई।
माहिया पढ़कर ऐसा लगा की वीर सैनिकों के मन को टटोल कर उनकी भावनाओं को अभिव्यक्त किया गया है,पढ़ कर
कई रस मन में जग जाते हैं सुंदर,ज्योत्स्ना जी बधाई|
पुष्पा मेहरा
Maine mahiya kai kai baar padhe meri aankhe nam ho ayi bahut gahan bhavon se lipt mahiya likhne ke liye meri bahut sari shubhkmanyen...
बहुत ही गहन अभिव्यक्ति ज्योत्सना जी। आपकी कलम को और वीर शहीदों को शत शत नमन। आंखे भीग गई पढ़कर।
भावना सक्सैना
माहिया पढ़ मन द्रवित हो गया ज्योत्स्ना जी ....आपकी कलम और वीर शहीदों को शत- शत नमन ।
एक से बढ़कर एक माहिया। नमन।
हृदय से आभार आपका !
बहुत सुन्दर माहिया...|बहुत बधाई...|
बहुत आभार प्रियंका जी :)
एक टिप्पणी भेजें