मंगलवार, 23 मई 2017

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डॉ पूर्णिमा राय
1
हम तेरे कायल हैं
साजन आ जाना
घिर आ बादल हैं
2
बादल घिर आ हैं
यादों की गठरी
भर-भर कर ला हैं
3
यह दिल है दीवाना
राह तकें नैना
मौसम भी मस्ताना
4
तुम दूर करो गम को
हँसना जीवन है
त लिख देना हमको
5
खिड़की से झाँक रहा
निर्मोही चंदा
बरबस ही ताक रहा।।
6
बूँदें बन बारिश की
 रोता है अम्बर

बू आ साजिश की।।

3 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

sunder

ज्योति-कलश ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति 👌👍

सुनीता काम्बोज ने कहा…

वाह बहुत सुंदर माहिया पूर्णिमा जी