सोमवार, 25 नवंबर 2019

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मंजूषा मन

1
छू कर तुम्हें
आये महकी हवा
सन्देसा ला
2.
प्रेम तुम्हारा
शीतल करे मन,
पा हुए धन्य।
3.
पवन बनूँ
पहुँचूँ तुम तक
जाऊँ न दूर।
4.
छूकर तुम्हें
खुशी से मर जाऊँ
मैं तर जाऊँ।
5.
छू कर तुम्हें
जान में जान
जीना आसान।