गुरुवार, 26 अक्तूबर 2023

1145

 

भीकम सिंह 

1

खेतों में उठी 

बारिश की खुशबू 

औ - पुरवाई 

गाँवों ने नापी दूरी 

फिर फटी बिवाई 

2

खुशबू झरे 

फसलों में सोंधी- सी 

प्रत्येक भोर 

अनगढ़-से खेत 

झूमते सराबोर 

3

सरसों-चना 

खेतों में खिला घना 

फूल फूल की 

खुसपुस-सी कई 

सटके बैठ गई 

4

मिट्टी से भरे 

ताल और तलैया 

बढ़ी है प्यास 

गंजे हो चुके गाँव 

दूब बची ना घास 

5

ठहर गई 

ग्रामीण इलाकों में 

छोटी नहर 

जीवन शैलियों का 

पुख्ता हुआ कहर 

-0-

 

6 टिप्‍पणियां:

Rashmi Vibha Tripathi ने कहा…

बहुत सुंदर ताँका।
हार्दिक बधाई

Ramesh Kumar Soni ने कहा…

सम सामयिक दृष्टिकोण वाले अच्छे ताँका-हार्दिक बधाई।

Krishna ने कहा…

सुंदर ताँका... हार्दिक बधाई।

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

सभी ताँका बहुत मनभावन। हार्दिक बधाई।

बेनामी ने कहा…

सभी ताँका ख़ूबसूरत हैं। हार्दिक बधाई। सविता अग्रवाल “सवि”

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

हमेशा की तरह, बेहतरीन रचनाएँ!