भीकम सिंह
1
खेतों में उठी
बारिश की खुशबू
औ - पुरवाई
गाँवों ने नापी दूरी
फिर फटी बिवाई ।
2
खुशबू झरे
फसलों में सोंधी- सी
प्रत्येक भोर
अनगढ़-से खेत
झूमते सराबोर ।
3
सरसों-चना
खेतों में खिला घना
फूल फूल की
खुसपुस-सी कई
सटके बैठ गई ।
4
मिट्टी से भरे
ताल और तलैया
बढ़ी है प्यास
गंजे हो चुके गाँव
दूब बची ना घास ।
5
ठहर गई
ग्रामीण इलाकों में
छोटी नहर
जीवन शैलियों का
पुख्ता हुआ कहर ।
-0-
6 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर ताँका।
हार्दिक बधाई
सम सामयिक दृष्टिकोण वाले अच्छे ताँका-हार्दिक बधाई।
सुंदर ताँका... हार्दिक बधाई।
सभी ताँका बहुत मनभावन। हार्दिक बधाई।
सभी ताँका ख़ूबसूरत हैं। हार्दिक बधाई। सविता अग्रवाल “सवि”
हमेशा की तरह, बेहतरीन रचनाएँ!
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