कृष्णा
वर्मा
1
आया बसंत
छलका
मधुरस
हैं तृष्णाएँ अनंत
जर्जर-काया
बूढ़े बरगद पे
यौवन चढ़ आया ।
2
लहर जाएँ
क्षितिज
की झालरें
हवा सनसनाए,
कर्ण मधुर
बजें वाद्य पत्तों
के
शाखें गुनगुनाएँ ।
3
अम्बर
पर
छिटकी है चाँदनी
हवाओं में ताज़गी
वादी महकी
साँसें
गुनगुनाईं
ऋतु ले अँगड़ाई।
4
आम्रतरु पे
इतराए जो बौर
मन भी बौरा गया
पुष्प महके
मोगरे की गंध से
सराबोर है हवा ।
5
लुकी रजाई
सिमटा जो कोहरा
आया बसंत छोरा
रंग- धमाल
टपक रही खुशी
फूलों –लदी डालियाँ
।
6
उभर रही
शिखर अधर पे
नदिया की मुस्कान
द्वार उतरी
ललित कलिका- सी
लेखनी की कल्पना ।
7
नेह से भरी
रेशमी
छुअन से
भीगने लगा मन
महकी फिज़ा
कोंपलों की मुस्कानें
हर्षित तरुदल।
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3 टिप्पणियां:
लुकी रजाई
सिमटा जो कोहरा
आया बसंत छोरा
रंग- धमाल
टपक रही खुशी
फूलों –लदी डालियाँ ।
वसंत के तरह ही सुन्दर हैं ये सेदोका...बधाई...|
सुन्दर वसंत वर्णन ..रस छलकाते बहुत मोहक सेदोका ...हार्दिक बधाई कृष्णा जी |
सादर !
ज्योत्स्ना शर्मा
basant ki sundarta liye mohak sedoke ....aapke ko dhero badhai krishna ji !!!!!!.
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