वसंतागमन
शशि पाधा
1
आया वसंत
महकती दिशाएँ
कंचन बरसाएँ
मुग्ध कलियाँ
चुनरी लहराएँ
मंगल गान गाएँ ।
2
पीली सरसों
क्यों न फूली समाए
वसंत घर आए
पुष्प गजरे
कलिका आभूषण
वसुधा मन भाए ।
3
गुंजित चहुँ ओर
चहक उठी भोर
किसने बाँधी
अम्बर धरा तक
इन्द्रधनुषी डोर !
-0-
7 टिप्पणियां:
पीली सरसों
क्यों न फूली समाए
वसंत घर आए
पुष्प गजरे
कलिका आभूषण
वसुधा मन भाए ।
aap bahut sunder likhti hai shabd bahut sunder chun ke lati hai
rachana
मनो मुग्धकारी है वसंत और उसकी सुषमा ...
हार्दिक बधाई दीदी
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
sundar :)
bahut sundar sadoka shashi ji manhavan hardik badhai
वसंत पंचमी के सुन्दर रंगों में सजी पंक्तियाँ...हार्दिक बधाई...|
प्रिय रचना , शशि, ज्योति जी, प्रियंका एवं सुनीता जी , आप सब का हार्दिक धन्यवाद |
sabhisedoka basanti chhta se bhare hain.sashi ji bahut badhai.
pushpa mehra.
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