कृष्णा
वर्मा
1
छंदोबद्ध- सी
गंध उतर
आई
शहनाई-
सी
फागुन
पुरवाई
घूमती पगलाई ।
2
फूली
चमेली
सीमान्त
महक ने
बाँटा
ख़ुमार
सहज
समर्पित
हुआ पहला
प्यार।
3
छाई बहार
इंद्रधनुषी
रंगों से
भीगा जो
प्यार
बिम्बांकित
हो गया
आंतरिक
संसार।
4
सुरभि-
मास
पुष्प-पात
यौवन
उन्माद
छाए
वन –उपवन भी
खुशबू में नहाए।
5
उमंग-
अंध
फागुनी
हवाओं में
जादुई नशा
सठियाए
वृक्षों को
बासंती
भुजबंध।
6
ऋतु शैतान
कली की
हथेली पे
लिखे शृंगार
भृंग
टोलियाँ करें
आ, न्योछावर
प्यार।
7
आया वैशाख
तरुणाई दिशाएँ
राधा अधीर
कन्हा की
बाँसुरी पे
छलक उठी पीर ।
8 टिप्पणियां:
सुंदर फागुनी महक लिए ताँका।
हार्दिक बधाई आ. कृष्णा वर्मा दीदी।
~सादर
अनिता ललित
b basanti havaen phaguni rangin se tar manbhigoti hui tanka mein simat ayi hain. krishna ji apko badhai .
pushpa mehra.
ऋतु शैतान
कली की हथेली पे
लिखे शृंगार
भृंग टोलियाँ करें
आ, न्योछावर प्यार।
bahut khoob likha hai
badhai
rachana
आया वैशाख
तरुणाई दिशाएँ
राधा अधीर
कन्हा की बाँसुरी पे
छलक उठी पीर ।komal ,sunder,v bhaavpurn ...bahut -bahut badhai .
फागुन की छटा तांका छंदों में बहुत सुन्दरता से प्रस्तुत की गई है ...
हार्दिक बधाई !!
फूली चमेली
सीमान्त महक ने
बाँटा ख़ुमार
सहज समर्पित
हुआ पहला प्यार।
बहुत मधुर...हार्दिक बधाई...|
फूली चमेली
सीमान्त महक ने
बाँटा ख़ुमार
सहज समर्पित
हुआ पहला प्यार।
बहुत मधुर...हार्दिक बधाई...|
खूबसूरत तांका कृष्णाजी हार्दिक बधाई |इसी तरह लिखती रहिये |अनेकानेक शुभकामनाएं |
सविता अग्रवाल "सवि"
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