1-रेखा
रोहतगी
1
तू सच -सच बतलाना
उसमें क्या देखा
जो तुझको है जाना ।
उसमें क्या देखा
जो तुझको है जाना ।
-0-
rekhrohatgi@gmail.com
-0-
2-सुशील शर्मा
1
1
अनुभूतियाँ
प्रेम-संवेदनाएँ
मन का सुख
आंतरिक आनंद
प्रेम में ही विश्वास।
प्रेम-संवेदनाएँ
मन का सुख
आंतरिक आनंद
प्रेम में ही विश्वास।
2
कड़वे बोल
दुःखद स्मृतियाँ
अप्रिय बातें
सजग हो दुखातीं
अंतस को सतातीं।
दुःखद स्मृतियाँ
अप्रिय बातें
सजग हो दुखातीं
अंतस को सतातीं।
3
असफलता
अक्सर नापती है
हमारी छाती
दर्द की नींव पर
सफलता की बाँग।
4
तेरा निज़ाम
सना है सन्नाटे से
मरता सच
कराहता विश्वास
नहीं है कोई आस।
5
सच की मंडी
खूँटी पर लटका
बिकता सच
सच के मुखौटों में
झूठ- भरे चेहरे।
6
मुख़ौटा फेंक
असलियत दिखा
कुछ न छुपा
पीठ पर न मार
सीने पे कर वार।
-0-
असफलता
अक्सर नापती है
हमारी छाती
दर्द की नींव पर
सफलता की बाँग।
4
तेरा निज़ाम
सना है सन्नाटे से
मरता सच
कराहता विश्वास
नहीं है कोई आस।
5
सच की मंडी
खूँटी पर लटका
बिकता सच
सच के मुखौटों में
झूठ- भरे चेहरे।
6
मुख़ौटा फेंक
असलियत दिखा
कुछ न छुपा
पीठ पर न मार
सीने पे कर वार।
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9 टिप्पणियां:
आदरणीय काम्बोज सर जी
सादर नमन !
मेरे प्रथम प्रयास में लिखे माहिया को यहाँ स्थान देकर मेरा उत्साह बढाया और मात्रा संबंधी मेरी शंकाओं को निर्मूल किया जिसके लिए मैं हृदय से आपकी आभारी हूँ ।
माहिया और तांका सभी बहुत सुन्दर। रेखा जी, सुशीला जी आप दोनों को बहुत बधाई!
रेखा जी ,सुशील जी बहुत सुंदर सृजन हार्दिक बधाई आप दोनों को
रेखा जी ,सुशील जी भावी शुभकामनाएं...
Atractive and beautiful
माहिया और तांका सभी खूबसूरत हैं भावों का सुन्दर दर्शन हैं हार्दिक बधाई आप दोनों को |
माहिया और तांका बहुत सुन्दर भावों से पूर्ण हैं हार्दिक बधाई आप दोनों को |
भावप्रणव माहिया एवं वैसे ही सुंदर तांका । बधाई रेखा जी सुशील जी सुन्दर सृजन के लिये ।
सनेह विभा रश्मि
बहुत सुन्दर रचनाएँ...बधाई...|
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