गुरुवार, 27 जुलाई 2017

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चोका
-डॉ सुधा गुप्ता
 सावन आये
बहना को भेंटने
बादल-साड़ी
बुँदियों का शृंगार
तीज-त्योहार
बहनें करती हैं
भरे मन से
सिंधारा-इंतज़ार
शाखों के झूले
चिड़ियाँ गातीं गीत-
'पिया-रंगीले'
बहना ने भेजा है
मैके सन्देश-
भइया, ज़रूर आना
राखी बँधाना
बनाऊँ पकवान
रोली-अक्षत
आरती का सामान
करूँ तैयार
आस-भरे नयनों
देखा करूँ दुआर!!
-0-
सेदोका
1-डॉ सुधा गुप्ता
1
यत्न से रखीं
तहाकर जो यादें
अतीत के सन्दूक
खोल बैठी जो,
देखा वक़्त-सितम,
सब चकनाचूर!
2.
पावस-साँझ-
उफनती नदिया
गहराता अँधेरा
जाना है पार
नौका कोई घाट
अछोर फैला पाट
3.
जिस आँख में
समाती नहीं बूँद
ढुलकती बाहर
अचरज है
कैसे तो समा गया
तेरा रूप-सागर
4
बरखा रानी
पूरी ठसक साथ
सजी शाही पोशाक
रथ सवार
खस-भीगी पंखी है
हाथ, शोभा अपार
5.
कल  शृंगार
बने गले का हार
भक्त जन निसार
आज निर्माल्य:
उतार फेंके गए
कचरा पड़ा द्वार!
6.
पड़ी बधाई
बंद मुट्ठी थे
जाने क्या-क्या ले
जाने की बेला:
सब कुछ बाँट के
पड़े हाथ पसारे  
-0-
-सुधा गुप्ता
120 बी /2, साकेत, मेरठ.
शिवरात्रि, 21. 07. 17.
-0-
2- 
शशि पाधा
  1
हिरना मन
वन -वन भटका
नित ढूँढे, न पाए  
कस्तूरी -गंध
मन में ही बसती
 फिर क्यों भरमाए
    2
 तारों की टोली
 चली अम्बर -गली
 करती खिलवाड़
आकाश गंगा
मुसकाए-निहारे
बाँटे खीर कटोरे
-0-


16 टिप्‍पणियां:

dr. ratna verma ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति. बधाई आप दोनों को

शिवजी श्रीवास्तव ने कहा…

डॉ. सुधा गुप्ता जी एवम् शशि पाधा जी समर्थ कवयित्रियाँ हैं,उनके चोका एवम् सदोका सुन्दर,सरस् एवम् रस से परिपूर्ण है।इसमें कोई संदेह नहीं कि वर्तमान में हाइकु,चोका एवम् सदोका के नाम पर केवल वर्ण गणना हो रही है,कविता लुप्त प्रायः हो रही ह,ऐसे में ये रचनाएँ प्रेरक हो सकती है,इनमे प्रकृति के सुन्दर मानवीकृत चित्र हैं,बिम्बात्मकता एवम् अलंकारिकता है साथ ही रसात्मकता भी है।दोनों कवयित्रियों को हार्दिक बधाई।

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Satya sharma ने कहा…

आदरणीया सुधा गुप्ता जी एवं आदरणीया शशि पाधा जी
नत मस्तक हूँ आपकी सृजन देख कर ।
बहुत ही उत्कृष्ट लेखनी । बहुत कुछ सीखना है आप सभी से ।
सादर

रश्मि शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति । बहुत बढ़िया सृजन

सुनीता काम्बोज ने कहा…

आदरणीया सुधा गुप्ता जी ,आदरणीया शशि पाधा जी आप दोनों की लेखनी को सादर नमन ।
बहुत प्रेरक ,प्रभावशाली लेखन पढ़कर मन आंनद से भर गया ।

bhawna ने कहा…

बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति। आदरणीय सुधा जी व शशि जी को सादर नमन।

Unknown ने कहा…

सुधा जी तथा शशि जी आपने इन रचनाओं में सुंदर कोमल बिम्ब पिरोया है।हिरना मन ने बहुत प्रभावित किया।बधाई आप दोनों को।

Unknown ने कहा…

काल शृंगार बहुत अच्छी लगी।

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Choka, sedoka bahut hi achhe lage sudha ji ki lekhni ko hamesha prnam unka lekhn bejod hai, meri bahut bahut shubhkamnaye,shashi ji ne bhi bahut achha likha unko bhi bahut bahut badhai.

Dr.Purnima Rai ने कहा…

आ.डॉ.सुधा जी एवं डॉ.शशि जी प्रेरक सृजन....उम्दाभिव्यक्ति....प्राकृतिक छटा बिखेरती कालजयी रचनाएं...

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

आदरणीया सुधा जी की प्रशंसा के लिए मेरा शब्द ज्ञान कम पद जाता है हमेशा...| बस उन्हें तो सादर नमन और बहुत सी बधाई...|
शशि जी, बहुत मनोरम सेदोका हैं...| ढेरों बधाई स्वीकारें...|

ज्योति-कलश ने कहा…

अनुपम रचनाएँ !! रक्षाबंधन पर्व की पावनता लिए सुन्दर चोका और तहाकर रखी यादें ,रूप सागर , निर्माल्य ..सभी मनोमुग्धकारी हैं !!
कस्तूरी गंध और खीर कटोरे भी बहुत सरस-मधुर हैं !!
कहना न होगा कि यथा नाम तथा गुण आदरणीय सुधा दीदी की रचनाएँ अमृत बरसाती हैं तो शशि दीदी की रचनाएँ चाँदनी की शीतलता |
दोनों की लेखनी को शत-शत नमन !!

Shashi Padha ने कहा…

आदरणीया सुधा जी की रचनाएँ जितनी बार पढ़ें एक सरस आनन्द की अनुभूति होती है | जितने सुंदर बिम्ब, उतने ही सुंदर शब्द -भाव | आप इसी प्रकार हम सब को साहित्य सृजन में प्रेरित करती रहे , यही हमारी शुभकामनाएँ है |

मेरे सेदोका रचना को इतना माँ देने के लिए सभी मित्रों एवं सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार |

Krishna ने कहा…


चोका और सेदोका अति सुंदर सृजन। आदरणीया सुधा जी तथा शशि जी आप दोनों को हार्दिक बधाई।

Vibha Rashmi ने कहा…

आ.सुधा दी के मनभावन चोका और सेदोके । हार्दिक बधाइयाँ ।
पावस-साँझ-
उफनती नदिया
गहराता अँधेरा
जाना है पार
नौका न कोई घाट
अछोर फैला पाट ।
शशि जी को सरस अभिव्यक्ति के लिये हार्दिक बधाई ।


हिरना मन
वन -वन भटका
नित ढूँढे, न पाए
कस्तूरी -गंध
मन में ही बसती
फिर क्यों भरमाए ।
सनेह विभा रश्मि

Jyotsana pradeep ने कहा…

बहुत मनोरम..अति सुंदर सृजन!!

आदरणीया सुधा गुप्ता जी,आदरणीया शशि पाधा जी आप दोनों की उत्कृष्ट लेखनी को सादर नमन !!!