पुष्पा
मेहरा
स्याह रात है
जाग आया है चाँद
आज ईद का,
मात्र चाँद ही नहीं
संदेशा है ये
प्रेम-भाईचारे का ,
रोशनी मात्र !
प्रात और रात का
हरती तम
पर कटार
ज्ञान की सदा ही
काटे जड़त्व,
यह मन हमारा
है तानाशाह
सुनता और करता
सदा मन की ,
भेद नीति अपना
गाड़े स्तम्भ
अपनी नीतियों के
चले कुचालें
जाल धर्मान्धता का
बिछा कर ये
छलता जनता को
प्रेम-दिखावा
पानी में परछाईं
बना छलता
गले लगाने बढ़ो
तो फिसलता
पर अबकी चाँद
अंधकार में
उजाला साथ लाया
देगा खुशियाँ
तोड़ देगा दीवार
नफरत की
मिलेंगे गले सब
तोड़-खंजर,
चाँद -सा होगा मन
हर पल रोशन ।
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12 टिप्पणियां:
बहुत दिलकश चोका सु.व.
बहुत बढ़िया चोका पुष्पा मेहरा जी बधाई।
बहुत सुंदर पुष्पा जी
मेरे द्वारा रचे चोका को अपने ब्लॉग में स्थान देने के लिए सम्पादक द्वय का आभार |
पुष्पा मेहरा
भूल सुधार
पुन:- चोके की दसवीं-ग्यारहवीं पंक्ति इस प्रकार होगी
पर कटार ज्ञान
काटे जड़त्व
नोट-'ज्ञान की सदा ही' पंक्ति हटानी है|
आगे- यह मन हमारा
है तानाशाह
सुनता औ करता
सदा मन की
क्षमा चाहती हूँ मुझसे मात्राएँ गिनने में ग़लती हो गई थी,आशा है वर्णाधारित चोका अब ठीक होगा |
पुष्पा मेहरा
पुष्पा दी बहुत प्यारा चौका । बधाई ।
Bahut payara choka hai meri hardik badhai.
सुंदर
bahut badhiya choka !
haardik badhaaii didi !
बहुत बढ़िया चोका!
पुष्पा मेहरा जी... बधाई!!
सुन्दर चोका...बहुत बधाई पुष्पा जी...|
क्षमा चाहती हूँ मुझसे मात्राएँ गिनने में ग़लती हो गई थी,आशा है वर्णाधारित चोका अब ठीक होगा |
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