मंगलवार, 21 नवंबर 2017

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मन का साथी 
डॉ.पूर्णिमा राय

समेट लिया
सूनापन भीतर
विस्तृत मन
नीलांबर को घेरे
उड़ते पाखी
हो गए हैं विलीन
मनु आहत
कैसी दिखती सृष्टि 
प्रेम- विहीन
श्रद्धा एवं इड़ा भी
व्याकुल बड़ी
ढूँढने है निकली
मन का साथी
दूर करे खालीपन
तृप्त हो रूह
चलके भक्ति- मार्ग
निस्वार्थ सेवा
कर्मरत मनुज
बाँटे खुशियाँ 
खोज लेता आशाएँ
अन्धकूप में 
बटोही की पुकार
 बंजर भूमि
बुनियाद से हिली
धँसती जाती
अपनों से आहत
है सदा सीता मैया!!
-0-
 डॉ.पूर्णिमा राय,शिक्षिका
अमृतसर (पंजाब)
ईमेल-drpurima01.dpr@gmail.com 

8 टिप्‍पणियां:

Vibha Rashmi ने कहा…

बहुत सुंदर चोका ।बधाई पूर्णिमा जी

Pushpa mehra ने कहा…


सुंदर चोका पूर्णिमा जी बधाई |

पुष्पा मेहरा

ज्योति-कलश ने कहा…

वाह ..बहुत बढ़िया !
बधाई पूर्णिमा जी !!

सुनीता काम्बोज ने कहा…

वाह अति सुंदर पूर्णिमा जी । हार्दिक बधाई ।

Jyotsana pradeep ने कहा…

बहुत खूब पूर्णिमा जी ..आपको हार्दिक बधाई !

'एकलव्य' ने कहा…

आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'शुक्रवार ' १९ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



Jyoti khare ने कहा…

वाह
बहुत सुंदर सृजन
बधाई

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत अच्छा चोका...मेरी हार्दिक बधाई...|