मन का साथी
डॉ.पूर्णिमा राय
समेट लिया
सूनापन भीतर
विस्तृत मन
नीलांबर को घेरे
उड़ते पाखी
हो गए हैं विलीन
मनु आहत
कैसी दिखती सृष्टि
प्रेम- विहीन
श्रद्धा एवं इड़ा भी
व्याकुल बड़ी
ढूँढने है निकली
मन का साथी
दूर करे खालीपन
तृप्त हो रूह
चलके भक्ति- मार्ग
निस्वार्थ सेवा
कर्मरत मनुज
बाँटे खुशियाँ
खोज लेता आशाएँ
अन्धकूप में
बटोही की पुकार
बंजर भूमि
बुनियाद से हिली
धँसती जाती
अपनों से आहत
है सदा सीता मैया!!
-0-
डॉ.पूर्णिमा राय,शिक्षिका
अमृतसर (पंजाब)
8 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर चोका ।बधाई पूर्णिमा जी
सुंदर चोका पूर्णिमा जी बधाई |
पुष्पा मेहरा
वाह ..बहुत बढ़िया !
बधाई पूर्णिमा जी !!
वाह अति सुंदर पूर्णिमा जी । हार्दिक बधाई ।
बहुत खूब पूर्णिमा जी ..आपको हार्दिक बधाई !
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'शुक्रवार ' १९ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
वाह
बहुत सुंदर सृजन
बधाई
बहुत अच्छा चोका...मेरी हार्दिक बधाई...|
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