1-ताँका
डॉ.जेन्नी शबनम
1.
अँजुरी भर
सुख की छाँव मिली
वह भी छूटी
बच गया है अब
तपता ये जीवन।
2.
किसे पुकारूँ?
सुनसान जीवन
फैला सन्नाटा,
आवाज घुट गई
मन की मौत हुई।
3.
घरौंदा बसा
एक-एक तिनका
मुश्किल जुड़ा,
हर रिश्ता विफल
ये मन असफल।
4.
क्यों नहीं बनी
किस्मत की लकीरें
मन है रोता,
पग-पग पे काँटे
आजीवन चुभते।
5.
सावन आया
पतझर-सा मन
नहीं हर्षाया,
काश! जीवन होता
गुलमोहर -गाछ।
6.
नहीं विवाद
मालूम है, जीवन
क्षणभंगूर
कैसे न दिखे स्वप्न
मन नहीं विपन्न।
7.
हवा के संग
उड़ता ही रहता
मन- तितली
मुर्झाए सभी फूल
कहीं मिला न ठौर।
8.
तड़प रहा
प्रेम की चाहत में
मीन -सा मन,
प्रेम लुप्त हुआ, ज्यों
अमावस का चाँद।
9.
जो न मिलता
सिरफिरा ये मन
वही चाहता
हाथ पैर मारता
अंतत: हार जाता।
10.
स्वप्न -संसार
मन पहरेदार
टोकता रहा,
जीवन से खेलता
दिमाग अलबेला।
-०-
2-सेदोका
डॉ.जेन्नी शबनम
1.
अपनी
व्यथा
गुमसुम
प्रकृति
किससे
वो कहती
बेपरवाह
कौन
समझे दर्द
सब
स्वयं में व्यस्त।
2.
वन, पर्वत
सूरज, नदी ,पवन
सब
हुए बेहाल
लड़खड़ाती
साँसें
सबकी डरी
प्रकृति
है लाचार।
3.
कौन
है दोषी?
काट दिए हैं वन
उगा
कंक्रीट-वन
मानव
दोषी
मगर
है कहता-
प्रकृति
अपराधी।
4.
दोषारोपण
जग
की यही रीत
कोई
न जाने प्रीत
प्रकृति
तन्हा
किस-किस
से लड़े
कैसे
जखम सिले।
5.
नदियाँ
प्यासी
दुनिया
ने छीन है
उसका
मीठा पानी,
करो
विचार
प्रकृति
है लाचार
कैसे
बुझाए प्यास।
6.
बाँझ
निगोड़ी
कुम्हलाई
धरती
नि:संतान
मरती
सूखा
व बाढ़
प्रकृति का प्रकोप
धरा
बेचारी।
7.
सब
रोएँगे
साँसें
जब घुटेंगी
प्रकृति
भी रोएगी,
वक्त
है अभी
प्रकृति
को बचा लो
दुनिया
को बसा लो।
8.
विषैले नाग
ये
कल कारखाने
जहर
उगलते
साँसें
उखड़ी
जहर
पी-पी कर
प्रकृति
है मरती।
9.
लहूलुहान
खेत
व खलिहान
माँगता
बलिदान
रक्त
पिपासु
खुद
मानव बना
धरा
का खून पिया।
10.
प्यासी
नदियाँ
प्यासी
तड़पे धरा
प्रकृति
भी है प्यासी,
छाई
उदासी,
अभिमानी
मानव
विध्वंस
को आतूर।
-०-
16 टिप्पणियां:
सुंदर रचना से अवगत करवाया.
हाथ पकडती है और कहती है ये बाब ना रख (गजल 4)
बहुत सुन्दर रचनाएं | अद्भुत निर्वाह | हार्दिक बधाई | सुरेन्द्र वर्मा |
हार्दिक बधाई डॉ जेन्नी शबनम जी को सुंदर रचनाओं के लिए।
Tanka sedoka ki bahar aayi hai yanha par to bahut bahut badhai dono ko...
अनुपम सृजन .... बधाई सहित शुभकामनाएं
सादर
बहुत बढ़िया, स्तरीय
जेन्नी शबनम जी के सभी ताँका व सेदोका मर्मस्पर्शी ।
बहुत बधाई संवेदनशील रचनाओं के लिये ।
भावपूर्ण , चिंतनपूर्ण सुन्दर रचनाएँ सभी !
डॉ. जेन्नी शबनम जी को हार्दिक बधाई !!
बहुत सुंदर सभी तांका और सेदोका।
जेन्नी जी हार्दिक बधाई।
बहुत सुंदर तांका और सेदोका जेन्नी जी को हार्दिक बधाई
मेरी रचनाओं को आप सभी का स्नेह मिला हृदय तल से धन्यवाद. काम्बोज भाई और हरदीप जी का बहुत बहुत आभार, मेरी रचनाओं को यहाँ पर स्थान मिला.
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' २८ मई २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
ताँका और सेदोका मे अनुपम कृतियों से परिचय।
अप्रतिम
गहरी संवेदना की झलक
मन को छू गई सभी रचनाएँ
खास कर
सावन आया
पतझर-सा मन
नहीं हर्षाया,
काश! जीवन होता
गुलमोहर -गाछ।
बेहतरीन सृजन के लिए साधुवाद
बहुत बेहतरीन सृजन हैं सभी...| मेरी बहुत बधाई...|
डॉ जेन्नी शबनम जी को सुंदर रचनाओं के लिए हार्दिक बधाई
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