मंगलवार, 25 दिसंबर 2018

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1-कृष्णा वर्मा
1
थोड़ी रंगीन
है थोड़ी- सी रुमानी
ज़िंदगी क्या है
अनूठा सा गणित
है प्यार की कहानी।
2
ऊँची-नीची -सी
हैं पथरीली राहें
कैसे बताएँ
बहते दरिया की
है ये कोई रवानी।
3
कर्मों से बँधी
मूल्यों में ढली हुई
वंश- निशानी
भोली कुछ नादाँ-सी
है थोड़ी -सी सयानी।
4
बड़ी कठिन
ज़िंदगी की किताब
पढ़ें तो कैसे
पल-पल बदलती
ये अपने मिज़ाज।
5
बची न वफ़ा
रिश्तों की बेदर्दी से
रोई ज़िंदगी
बाकी अब जीने का
दस्तूर है निभाना।
-0-
2-ज्योत्स्ना प्रदीप 
1
बचपन के 
शहतूत से दिन
चूसे वक़्त ने,
मिठास बाकी है
कहीं न कहीं अभी
2
रात्रि के केश
बूँदों से हुए गीले
नींद से जागे
सागर, नदी ,ताल
बूँदें करें बवाल !
3
तेरी रागिनी
सुनी थी रात भर
हरेक स्वर
भर गया मिठास 
जैसे झोंके बतास!
4
तुम्हारे बोल
किसी कवि के छन्द
घन -आनन्द
मन भीतर भरा
सुख का सोना खरा !
5
राग विहाग 
बैठी थी जब गाने
मधु -माधव 
लाया बसंत राग
हथेली उगा  फाग।
6
सूनी थीं आँखें 
गीली सपन -पाँखें 
तुम जो आ
नेह है आसमान 
इक नई  उड़ान।
7
पुष्प -पलाश
तन- मन ले आग
मनाता  होली
अनोखा तेरा भाग
अनवरत फाग !
8
तुम्हें चाहा था
बहुत सराहा था
एक बार ही
दर्द  सहला देते
मन बहला देते !
9
क़्त बदला
तुम नहीं बदले
आज भी लगे 
सरल भले -भले
चन्द्रमा  से उजले !
-0-
 कुछ संग्रह 










10 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूबसूरत हर त्रिवेणी ...
नया अंदाज़ बाखूबी कहते हुए ...

Dr. Surendra Verma ने कहा…

सभी रचनाएँ बहुत सुन्दर | सुरेन्द्र वर्मा |

Sudershan Ratnakar ने कहा…

कृष्णा वर्मा जी, ज्योत्सना जी आपदोनों के ताँका बहुत सुंदर ,भावपूर्ण हैं ।बधाई

ज्योति-कलश ने कहा…

बहुत सुन्दर रचनाएँ ,हार्दिक बधाई !

Dr. Purva Sharma ने कहा…

कृष्णा जी एवं ज्योत्स्ना जी हार्दिक बधाइयाँ����
एक से बढ़कर एक मनभावन रचनाएँ.... बहुत सुंदर

dr.surangma yadav ने कहा…

बहुत सुंदर रचनाएँ ।हार्दिक बधाई ।

Unknown ने कहा…

बढिया

Jyotsana pradeep ने कहा…

बहुत सुन्दर सृजन आद.कृष्णा जी. ...हृदय-तल से बधाई !!

Jyotsana pradeep ने कहा…

मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार करती हूँl आप सभी साथियों का भी दिल से धन्यवाद !

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत सुन्दर तांका , मेरी बधाई