1-कृष्णा वर्मा
1
कैसा सितम
किया आज वक़्त ने
फिरें ढूँढते
दिल की खुशियों की
हम सब वजह।
2
रोतीं
चाहतें
दिलों के दरम्यान
कौन दे रहा
फासलों का पहरा
तड़पते किनारे।
3
कैसे बुझाए
खुशियों के जुगनू
उदासियों की
घिर आईं घटाएँ
मरे बाँसुरी सुर।
4
मन बंजारा
बेचैन भटकता
फिरे आवारा
खोजे तेरी प्रीत को
मिल जाए दोबारा।
5
जेठ की धूप
ठहरी जीवन में
देती आघात
ढूँढ रही ज़िंदगी
बरगद की छाँव।
6
लगी माँगने
मुसकानों का कर्ज़
क्यों ज़िंदगानी
छीन कर वसंत
क्यों दे गई वीरानी।
-0-
2-पिता
सत्या शर्मा ‘कीर्ति’
सत्या शर्मा ‘कीर्ति’
आशीष भरे
करुणा से निर्मित
हाथ आपके
थाम चलती रही
कभी रुकती
कभी दौड़ती रही
जीवन- पथ
कठिनाइयों भरा
पर! पथ के
सब बिखरे काँटे
आप हमेशा
चुन फेंकते रहे
हम निर्विघ्नं
सदा चलते रहे
वक्त ने दिए
जख़्म कभी गहरे
खुद ही दर्द
सारे झेलते रहे
हमें खुशियाँ
आप बाँटते रहे
हम तो सदा
खिलखिलाते रहे
मेरी आँखों से
लेकर सारे आसूँ
बन के शिव
आप बस पीते रहे
औ हम सभी
गुनगुनाते रहे
सर पे मेरे
बन बरगद साया
बचाते रहे
हर धूप व छाया
झेलके गम
मुस्कुराते ही रहे
हमारे पिता
साथ हँसते रहे
साथ ही जीते रहे ।।
-0-
11 टिप्पणियां:
कृष्णा जी, सत्या जी बहुत ही सुंदर भावपूर्ण सृजन के लिए बहुत बहुत बधाई।
बहुत सुंदर रचना... बधाई सत्या जी।
मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदय से आभारी हूँ भैया जी 🙏🙏
बहुत ही सुंदर एवं भावपूर्ण सृजन के लिए कृष्णा जी को हार्दिक बधाई 🌹
अति सुन्दर ।बहुत-बहुत बधाई ।
बहुत सुंदर रचनाएं
हार्दिक बधाई सुन्दर सृजन हेतु
सुंदर सृजन के लिए कृष्णा जी एवं सत्या जी को हार्दिक बधाइयाँ
अत्यंत सुंदर एवं भावपूर्ण सृजन!
हार्दिक बधाई आ. कृष्णा दीदी एवं सत्या जी!!!
~सादर
अनिता ललित
बहुत उम्दा रचनाएँ...ढेरों बधाई...|
बहुत सुन्दर रचनाएँ.
बहुत बढ़िया रचनाएँ...ढेरों बधाई आ.कृष्णा जी एवं सत्या जी!!
एक टिप्पणी भेजें