गुरुवार, 13 जनवरी 2022

1021-चैन की साँस

 ताँका-प्रीति अग्रवाल

1.
तोड़ी हमने
रूढ़ियों की बेड़ियाँ
चैन की साँस
खुला, नीला आकाश
कुछ और न चाह!
2.
अधीर-सा है
आज फिर ये मन
ढूँढ रहा है
कुछ प्रश्नों के हल
कुछ सुकूँ के पल।

3.
आखिर क्या है
प्रेम की परिभाषा
कोई न जाने
राधा, मीरा, पद्मिनी
सीता या यशोधरा?
4.
स्कूल, कॉलेज
जीवन-पाठशाला
सब पे भारी
चुन-चुन दे शिक्षा
ज्ञान भरी पिटारी।
5.
बत्तू है चाँद
मीठी-मीठी बतियाँ
रोज़ सुनाए
न मुझे ही सोने दे
न खुद सोने जाए। 

-0-

15 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

सुन्दर ताँका।
हार्दिक बधाई आदरणीया।

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

बहुत सुंदर ताँका! बहुत बधाई आ. प्रीति जी!

~सादर
अनिता ललित

शिवजी श्रीवास्तव ने कहा…

वाह,सभी ताँका सुंदर।बत्तू शब्द का प्रयोग बहुत अच्छा लगा।बधाई प्रीति जी।

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (14-01-2022 ) को 'सुधरेगा परिवेश अब, सबको यह विश्वास' (चर्चा अंक 4309) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

#रवीन्द्र_सिंह_यादव

dr.surangma yadav ने कहा…

वाह!बहुत सुन्दर ताँका।बधाई प्रीति जी।

भीकम सिंह ने कहा…

बेहतरीन ताँका, हार्दिक शुभकामनाएँ ।

Krishna ने कहा…

बहुत ही बढ़िया ताँका...हार्दिक बधाई प्रीती।

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

आप मेरी रचना को अन्य पाठकों तक पहुंचाने उद्देश्य से अपना मंच प्रदान कर रहे है, आपका हार्दिक आभार आदरणीय।!

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

इतना सुंदर मंच प्रदान करने के लिए और मेरी आवाज आप सब तक पहुँचाने के लिए, सम्पादक द्वेय की सदा आभारी रहूँगी!
रश्मि जी अनिता जी, शिवजी भैया, सुरँगमा जी, भीकम सिंह जी, और कृष्णा जी, आप सब का भी ह्र्दयतल से आभार जो आपने अपना बहुमूल्य समय देकर मेरी रचनाओं को पढा और सराहा!

Manisha Goswami ने कहा…

तोड़ी हमने
रूढ़ियों की बेड़ियाँ
चैन की साँस
खुला, नीला आकाश
कुछ और न चाह!👍👏

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

प्रीती के इतने खूबसूरत भावपूर्ण तांका की रचना के लिए हार्दिक बधाई |

हरीश कुमार ने कहा…

बेहद भावपूर्ण रचना... साधुवाद 🙏

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

मनीषा जी, सविता जी, हरीशजी, मेरी लेखनी को बल प्रदान करती आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद!

Anita ने कहा…

वाह! बेहतरीन सृजन

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

सुन्दर तांका के लिए बहुत बधाई