ब्रह्मताल सम्मिट पॉइण्ट
भीकम सिंह
गाइड ने एक-एक करके सभी के चेहरे पर टॉर्च की सीधी रोशनी
डाली । यद्यपि गाइड सभी का चेहरा नहीं देख पा रहा था - झीनी
रोशनी के घेरे में शरीर का ढाँचा भर देख पा रहा था। ट्रैकर
से जितना बन पड़ रहा था, वे ब्रह्मताल सम्मिट पॉइण्ट की ओर खिसक रहे थे । आकाश का अधिकांश हिस्सा साफ
हो चुका था। एक - आध तारा ही चमक रहा था। सभी ने अपनी टॉर्च बन्द कर ली थी। पीठ पर
रुकसैक चिपकाए, 11227 फीट की
ऊँचाई पर चढ़ आए थे। पैरों में ताकत नहीं थी। आली बुग्याल के पीछे पहाड़ पर लालिमा जैसा दिख रहा था। धड़कने थामें हुए सभी ट्रैकर कैमरों का शटर खोल रहे थे। एक जनवरी दो हजार तेईस
के सूर्योदय की थोड़ी- सी रोशनी ऊपर उठकर पहाड़ों को प्रकाशित कर रही थी। ट्रैकर का
फोटो शूट अनवरत चल रहा था। सूर्योदय हो चुका था। अभी वह पेड़ की दो शाखाओं के बीच टिका था ; लेकिन देखते-देखते ऊपर चढ़ गया। झंडी
टॉप पर आते-आते सूर्य देवता सिर पर आ चुके थे। मैंने चारों
ओर निगाह दौड़ाई। ब्रह्मताल नजरों से ओझल हो रहा था ।
धूप- सिंचित
नए वर्ष की भोर
मन विभोर ।
11 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर हाइबन।दृश्य का बिम्ब साकार करती भाषा।बधाई डॉ. भीकम सिंह जी।
बहुत सुंदर हाइबन एवं चित्र! इतनी ऊँचाई से अलग ही नज़ारा होगा!
~सादर
अनिता ललित
बहुत सुंदर, सजीव चित्रण करता हाइबन। हार्दिक बधाई। सुदर्शन रत्नाकर
बहुत सुन्दर हाइबन के लिए बधाई भीकम सिंह जी ।
विभा रश्मि
सजीव चित्रण...अद्भुद सृजन.. 🙏🏻🙏🏻
सजीव चित्रण!!बहुत बधाई सर।
मेरे हाइबन को प्रकाशित करने के लिए सम्पादक द्वय का हार्दिक धन्यवाद और टिप्पणी करने के लिए आप सभी का हार्दिक आभार ।
नयनाभिराम सूर्योदय को वर्णित करता बहुत ही जीवंत और सुंदर हाइबन। बधाई भीकम जी।
सजीव चित्रण किया है हाइबन में। बधाई। सविता अग्रवाल “सवि”
बहुत ही खूबसूरत नज़ारे को बयाँ करता खूबसूरत हाइबन
बधाई भीकम जी
बहुत सुंदर चित्रण... हार्दिक बधाई।
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