भीकम सिंह
1
प्रेमी, भाषा से
नफा - नुकसान का
भरता रंग
कैनवास प्रेम का
खाता रहता जंग ।
2
प्रेम में पड़ी
कितना कह जाती
नींद तुम्हारी
करवटों से उठे
लहरें प्यारी - प्यारी ।
3
स्पर्श से पूर्व
तितली ने क्या कहा
फूल तुझसे ,
हो सके तो बताना
उदासी में मुझसे ।
4
प्यारे दिनों की
ऑंखों में स्मृतियाँ हैं
पश्चाताप की
देखो, आएगी कभी
कोई ऋतु माफ़ की ।
5
टूटे फूलों से
जो अभिव्यक्त हुआ
प्यार के लिए ,
तुम सुनना उसे
एक बार के लिए ।
6
गूँगे प्रेम ने
ना बोली गई बातें
होंठों पे रखी ,
और पोंछ ली फिर
बरसात में सभी ।
7
मुँह को फेरे
एक दूजे की ओर
बातें हो रही
शब्द ठहर गए
और रातें हो रहीं
8
इंतजार में
चुप्पी- सी मारे दिन
प्यार के लिए
बचा पड़ा है थोड़ा
थोड़ा पीड़ा के लिए ।
9
कभी ना घिरा
मटमैला कोहरा
उदासी में भी
प्रेम के है फसाने
कहीं कुछ ऐसे भी ।
10
तुमने सोचा
जो कह ना सका मैं
प्रेम को लेके
सावन की ओर से
आये कितने मौके ।
-0-
9 टिप्पणियां:
स्पर्श से पूर्व
तितली ने क्या कहा
फूल तुझसे ,
हो सके तो बताना
उदासी में मुझसे ।
बहुत ही सुंदर ताँका।
सारे ताँका मनभावन।
हार्दिक बधाई आदरणीय भीकम सिंह जी को 💐🌷
सादर
स्पर्श से पूर्व
तितली ने क्या कहा
फूल तुझसे ,
हो सके तो बताना
उदासी में मुझसे ।
उत्कृष्ट ताँका। सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई भीकम सिंह जी। सुदर्शन रत्नाकर
प्रेम की बहुत सी बात और दृश्यों का प्यारा कैनवास।
प्रेम को शब्द देने के लिए गहराई चाहिए और होना चाहिए एक प्यारा सा दिल जो उसकी पदचाप सुन सके-जो आपकी लेखनी के पास है।
सभी ताँका सुंदर हैं।
हार्दिक बधाई।
सुंदर ताँका! प्रेम की गहराई को सुंदरता से शब्दों में पिरोया है!
~सादर
अनिता ललित
प्रेम की ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति... हार्दिक बधाई।
एक से बढ़कर एक उम्दा तांका, हार्दिक बधाई आदरणीय।
अहा ! एक से बढ़कर एक सुंदर ताँका
प्रेम की कथा-व्यथा को ताँका में पिरोते सुंदर शब्द
हार्दिक बधाई आदरणीय
मेरे ताॅंका प्रकाशित करने के सम्पादक द्वय का हार्दिक धन्यवाद, और खूबसूरत टिप्पणियों के लिए आप सभी का आभार।
सभी ताँका मनमोहक। बधाई भीकम सिंह जी
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