शुक्रवार, 13 सितंबर 2024

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बादल

 रश्मि विभा  त्रिपाठी



परसों रात से लगातार बारिश हो रही है, कभी मूसलाधार और कभी धीमी- धीमी बौछार। बारिश का मौसम बहुत रोमांटिक होता है, अक्सर सुना है। मुद्दत के बाद दोपहर को मन में जाने कहाँ से ख़याल आया कि आज इस रोमांटिक मौसम का नज़ारा छत पर चलकर देखूँ! और भीगने की फ़िक्र छोड़ मैं छत पर बने हवा महल (तीसरी मंजिल पर पापा का बनवाया हुआ उनका पसंदीदा हवादार कमरा) में खड़ी हो गई। मेरी नज़र आसमान की ओर गई, और मैं उसे एकटक देखने लगी। गौर से देखने पर मुझे लगा- गोरे- चिट्टे बादल का चेहरा साँवला पड़ गया है, बादल की आँख से आँसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे हैं, उसे चुप कराने के बजाय बेरहम बिजली उसे डाँट और रही है। एक हवा ही है, जो उसका हाथ पकड़कर खींच रही है और कह रही है कि चलो यहाँ से मेरे साथ घूमने, मन बहलेगा। कभी तेज, कभी रिमझिम बारिश में मुझे लगा- आकाश की छत पर थके- थके पाँवों से टहलता हुआ मानो मेरी ओर देख- देखकर बादल कभी फफक-  फफककर रो रहा है और कभी हिलकियाँ ले रहा है। मैं सोचने लगी-

याद किसकी
आ गई बादल को
लेता सिसकी!

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13 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

बहुत सुंदर हाइबन रश्मि जी। लाजवाब हार्दिक बधाई । सुदर्शन रत्नाकर

Rashmi Vibha Tripathi ने कहा…

त्रिवेणी में मेरे हाइबन को स्थान देने के लिए आदरणीय सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार।
आदरणीया रत्नाकर दीदी की टिप्पणी की हृदय तल से आभारी हूँ।

सादर

भीकम सिंह ने कहा…

बहुत सुंदर हाइबन , इस घटना का इससे सुंदर चित्रण हो ही नहीं सकता, वाह... वाह, हार्दिक शुभकामनाऍं।

शिवजी श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुन्दर हाइबन,बादल को सिसकी का प्रयोग अद्भुत एवं अनुपम है, बधाई रश्मि विभा जी

Rashmi Vibha Tripathi ने कहा…

आदरणीय भीकम सिंह जी, आदरणीय शिव जी श्रीवास्तव जी की टिप्पणी का हार्दिक आभार।

सादर

डॉ. पूर्वा शर्मा ने कहा…

सुंदर-बिंबात्मक हाइबन
हार्दिक बधाई रश्मि जी

surbhidagar001@gmail.com ने कहा…

वाह बहुत खूब लिखा है आपने।
हार्दिक बधाई

Krishna ने कहा…

बहुत सुंदर हाइबन , लाजवाब चित्रण..हार्दिक बधाई रश्मि जी।

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

वाह! बहुत सुंदर !!

बेनामी ने कहा…

बहुत सुंदर वर्णन बादल के मनोभाव का । हार्दिक बधाई रश्मि जी। सविता अग्रवाल”सवि”

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बहुत सुन्दर हाइबन। बधाई रश्मि जी

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत हाइबन प्रिय रश्मि जी!

~सस्नेह
अनिता ललित

बेनामी ने कहा…

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