ताँका-चोका- सेदोका -माहिया-हाइबन
मैं तुम्हारे दम पे-
चोका- रश्मि विभा त्रिपाठी
घड़ी दो घड़ी
कभी होठों पे गीत
तो कभी मौन
जीवन की ये रीत
अजब बड़ी
जान सका है कौन?
नीरवता में
साधने लगी सुर
मैं आज फिर
जो इस समय की
सरगम पे
सिर्फ और सिर्फ ये
कर पाई हूँ
हरेक कदम पे
मैं तुम्हारे दम पे।
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त्रिवेणी में मेरे चोका को प्रकाशित करने हेतु आदरणीय सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार। सादर
बहुत सुंदर, हार्दिक शुभकामनाऍं।
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2 टिप्पणियां:
त्रिवेणी में मेरे चोका को प्रकाशित करने हेतु आदरणीय सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार।
सादर
बहुत सुंदर, हार्दिक शुभकामनाऍं।
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