गुरुवार, 31 अक्तूबर 2024

1197

 



डॉ. सुरंगमा यादव

1

लौटे हैं रघुनंदन

त्याग भरा अपना

लेकर मर्यादित मन।

2

दीवाली यह बोली-

हर घर खुशियों की

सज जाए रंगोली ।

2

अंतरतम नेह भरा

दीपक माटी का

तम से ना तनिक डरा

4

अँधियारा बेकल है

दीपों से जगमग

मावस का आँचल है

5

उत्कट अभिलाषा है

सूने नयनों में

भरनी नव आशा है

6

दीपक कब है डरता

तम की कारा में

अवसर  ढूँढा करता

7

आँगन इठलाते हैं

माटी के दीपक

आँचल में पाते हैं

8

जो दीप जलाते हैं

घर में माटी के

आशीषें पाते हैं

9

माटी के दीप जलें

गढ़ने वालों के

घर भी त्योहार खिले।

10

मन वज्र  किसे भाए

संवेदन पर भारी

स्वारथ ना हो जाए।

-0-

 


2-भीकम सिंह

1

लौ में पतंगे

बाहों में बाहें डाले

ज्यों मतवाले

रेशमी भुलावों में 

बेचारे भोले - भाले ।

2

दीया ही आए

अँधेरे के मुल्क में 

हाथ उठाए 

बेशक गहरी हों

लम्बी -लम्बी निशाएँ ।

3

दीये की लौ से 

गर्म हैं हथेलियाँ

ऑंधी के वार

झेल रही वैलियाँ

कुहासे में चिनार ।

4

प्रेम के दीप

अब जलाएँ कैसे 

चारों ओर है 

हवाओं का पहरा 

तम, मुँहजोर है।

5

जुगनूँ सारे 

दिप दिप - सा करें 

आँख - सी मारे

सैर को निकले हैं 

सूनी गली में प्यारे ।

6

उलटे मुँह 

रात में हवा हुई

लौ डर गई 

तम की गठरी भी 

नीचे ही खुल गई ।

7

पटाखे लाया 

औ- धुआँखोर ऋतु 

कैसा है पर्व 

खालीपन भी लाया 

दीपावली का गर्व ।

8

दिन अँधेरे 

रातों में उजाले है 

कैसे हैं दीये 

भाई -चारे का तेल 

मुँडेरों पर पिएँ ।

9

हवा ज्यों चली

लरजी दीये की लौ 

डगमग- सी

पर जलती रही 

वहीं पर वैसे ही।

10

आग कन्धों पे 

दीयों ने धरकर

काटा सफर

और मूँग - सी दली

तम की छाती पर ।

-0-

3-रमेश कुमार सोनी



1

माटी बिकती

माटी ही खरीदते

माटी के मोल

रौशनी हँस पड़ी

पतंगे जल गए। 

2

कुटिया भूखी

रौशनी चली जाती

पैसों के घर 

सम्मान को तरसी

बूढ़ी माँ सी उदास।

3

पैसों का मेला

हवेली ही फोड़ती

खुशी पटाखे

कोई देखके खुश 

कोई बेचके खुश।

4

ड्योढ़ी सजी है

रंगोली भी पुकारे 

श्री जी पधारो

रौशन है आँगन

खुशियों की दीवाली।

5

जेब उछले

दीवाली है मनाना

दिवाला होगा!

छूट की लूट सजी

बाजार बुलाते हैं।

6

दीवाली आई

मॉल की बाँछे खिलीं 

पैकिंग ठगे

मावा में मिलावट

मरीज भी बढ़ते।

7

रौशनी पर्व

अँधेरा छिप जाता 

दी के नीचे 

कीटों की फौज बुला 

आज़ादी चाहता है!

8

आई दीवाली 

सब कुछ नया है 

उमंगें गातीं 

सिर्फ लोग पुराने

किस्से जवान हुए। 

9

बधाई बँटी 

गिफ़्ट सैर को चले

घर से घर 

कल कूड़ा उठाने 

झोंपड़ी जल्दी सोयी।

10 

आग डराती 

पेट या पटाखों की

दुविधा बड़ी

पेट खोजे मजूरी 

मन खोजे पटाखे।

-0-

13 टिप्‍पणियां:

भीकम सिंह ने कहा…

डॉ सुरंगमा यादव जी के बहुत सुंदर माहिया और उतने ही सुंदर रमेश कुमार सोनी जी के ताॅंका, दोनों को हार्दिक शुभकामनाऍं।
मेरे ताॅंकाओं को प्रकाशित करने के लिए सम्पादक द्वय का हार्दिक धन्यवाद, आभार।

dr.surangma yadav ने कहा…

भीकम सिंह जी व रमेश कुमार सोनी जी के अत्यंत सुंदर ताँका।हार्दिक बधाई। सभी को दीपावली की बहुत- बहुत शुभकामनाएँ।

रश्मि विभा त्रिपाठी ने कहा…

आदरणीया सुरंगमा दीदी के मनमोहक माहिया।
आदरणीय भीकम सिंह जी, रमेश कुमार सोनी जी के बहुत सुन्दर ताँका।
हार्दिक बधाई आप तीनों को।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ।

सादर

Ramesh Kumar Soni ने कहा…

सुरंगमा जी एवं भीकम जी की रचनाएँ सुंदर हैं-बधाई।
मुझे प्रकाशित करने के लिए आभार।
आप सभी को दीपोत्सव की अनंत शुभकामनाएँ।
हम सभी को ऐसी सुंदर रचनाएँ पढ़ने को मिलती रहे।

अनीता सैनी ने कहा…

बहुत सुन्दर।
सभी को बधाई।

बेनामी ने कहा…

बहुत सुंदर मनमोहक माहिया डॉ सुरंगमा जी को हार्दिक बधाई ।सुदर्शन रत्नाकर

बेनामी ने कहा…

डॉ भीकम सिंह जी एवं रमेश कुमार सोनी जी को बहुत सुंदर ताँका के लिए बहुत बहुत बधाई । सुदर्शन रत्नाकर

डॉ. पूर्वा शर्मा ने कहा…

सभी रचनाएँ बहुत ही मनभावन
सुरंगमा जी, भीकम जी एवं रमेश जी को हार्दिक बधाई

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

बेहतरीन माहिया, सुरंगमा जी को बहुत बहुत बधाई।

उत्कृष्ट तांका रचने के लिए भीकम सिंह जी और रमेश सोनी जी को भी हार्दिक बधाई ।

बेनामी ने कहा…

दीवाली के दीपक की तरह जगमग करते सुंदर माहिया सुरंगमा जी हार्दिक बधाई। सविता अग्रवाल” सवि”

बेनामी ने कहा…

भीकम जी और रमेश जी को भी उनकी सुंदर भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई। सविता अग्रवाल “सवि”

भीकम सिंह ने कहा…

खूबसूरत टिप्पणियों के लिए आप सभी का हार्दिक आभार।

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

सुरंगमा जी को सुन्दर माहिया के लिए बधाई. भीकम सिंह जी और रमेश सोनी जी को भावपूर्ण ताँका के लिए बधाई.