माहिया/ हरकीरत हीर
1
सावन की हैं रातें
रह रह याद करूँ
तेरी मीठी बातें।
2
पेड़ों पर झूले हैं
झूलें सब सखियाँ
और हम अकेले हैं।
3
भीगी-भीगी अँखियाँ
कह देंगी तुझको
दिल की सारी बतियाँ।
4
सावन की है हलचल
मन मेरा डोले
ढूँढे तुझको हर पल।
5
भीगी-भीगी आहें
तेरे क़दमों की
तकती निश-दिन राहें
6
उड़-उड़ आज चुनरिया
आजा अब साजन
तुझ बिन जाए न जिया।
7
अखियाँ कह देती हैं
चुप हैं लब फिर भी
बदली सुन लेती है।
8
तेरा जो ख़त आया
छूते ही उसको
चहरे पर गुल छाया।
9
दिल पे न रहा काबू
पल में छाया है
नज़रों का इक जादू
10
तड़पाएँगी बातें
काटे न कटेंगी
तन्हा तन्हा रातें।
11.
तू तो है पास कहीं
दिल ये कहता है
क्यों आता नज़र नहीं।
12.
साँसें बहकी- बहकी
तेरी ख़ुशबू से
रहती महकी- महकी।
13.
वो ख़ास मुलाक़ातें
भूली ना अब तक
वो प्यार- भरी बातें।
14.
सूना-सूना तनमन
धड़कन पूछे, क्यों
यादें में क्यों उलझन।
15.
भीगी- भीगी अखियाँ
बोल रही हैं सब
छेड़ें सारी सखियाँ।
16.
जब से आया सावन
तेरी यादों से
भीगा मेरा तन-मन।
17.
जब से है प्रीत हुई
दूर हुए तुझसे
क्या है यह रीत नई
7 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर माहिया, हार्दिक शुभकामनाएँ।
शुक्रिया भैया ..मेरे माहिया को स्थान देने के लिए ...
बहुत सुन्दर माहिया. हार्दिक बधाई
वाह!अति सुंदर माहिया।बधाई आपको।
वियोग शृंगार के सुंदर माहिया। मनोव्यथा का प्रभावी चित्रण। हार्दिक बधाई ।सुदर्शन रत्नाकर
बहुत सुंदर रस--भीगे माहिया हैं बधाई _पुष्पा मेहरा
वाह
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