माहिया-जुगलबंदी
(क्रमांक में पहला माहिया ज्योत्स्ना प्रदीप  का है तो जुगलबन्दी में रचा दूसरा माहिया
डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा का है। त्रिवेणी में किए जा रहे सर्जनात्मक और सकारात्मक
प्रयोग के लिए हम दोनों सभी के आभारी हैं। -डॉ हरदीप सन्धु-रामेश्वर काम्बोज)
ज्योत्स्ना प्रदीप :
डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
1
 उसकी पहचान नहीं 
भेस बदलता है 
राहें आसान नहीं ।
ज्योत्स्ना प्रदीप
0
मैं उसको जान गई 
मन भरमाता है  
सब सच पहचान गई!- डॉ.
ज्योत्स्ना शर्मा
 0
2
 माँ ने क्यों सिखलाया- 
चुप रहना सीखो, 
पर रास नहीं आया । 
 0
हर सीख यहाँ मानी  
जीवन पेंच हुआ 
अटकी हूँ अनजानी।
3
देखो आई यामा 
आँसू कब ठहरे
 किसने इनको थामा? 
0
रजनी के तारे हैं  
कुछ तेरे नभ में  
कुछ पास हमारे हैं । 
4
 नाहक आँखें भरतीं 
मिलती माधव से 
कई मासों में धरती ।
0
मिलने की मजबूरी  
सह लेती , मुश्किल  
मन से मन की दूरी।
5
कोई  होरी -राग नहीं 
दिल में सीलन है 
कोई भी आग नहीं ।
0
हर वार करारा है  
ढूँढ कहीं दिल में 
आबाद शरारा है ॥
6
ऐसी भी बात नहीं 
प्रेम समर्पण है 
कोई खैरात नहीं । 
0
भाती है सीख नहीं  
प्रेम फकत चाहा  
माँगी है भीख नहीं ।
7
नाते वो पीहर के 
जी लूँ कुछ दिन मै
 खुशियाँ ये जी भरके । 
0
दिन-रैन लुभाती हैं  
गलियाँ नैहर की  
हाँ,पास बुलाती है।
8
 हा ! माँ भी वृद्धा है 
अब भी  आँखों में  
ममता है श्रद्धा है ।
0
दिन,सदियाँ ,युग बीते  
माँ की ममता से   
कोई  कैसे 
जीते ।
9
 बेटी को प्यार किया 
माँ ने लो फिर से 
घावों को  खूब 
सिया । 
0
मरहम -सा सहलाए 
 उलझन बालों की 
मैया जब सुलझाए॥
10
 नाता वो भाई का 
अमवा से पूछो ऋण
वो  अमराई का। 
0
भाता  है ,भाई है 
 हर सुख में ,दुःख में 
जैसे परछाई है ।
11
 भाभी की शैतानी 
पल भर में छिटका 
 वो आँखों का पानी । 
0
खट्टी -मीठी गोली  
छेड़ करे भाभी 
 बनती कितनी भोली॥
12
 बहना भी प्यारी है 
ग़म  को कम करती 
खुद गम की मारी है। 
0
प्यारी सी बहना है  
वो दिल का टुकड़ा  
सोने का गहना है…
13
 मन इतना भोला था
 ढोए बोझ घने 
उफ़ तक ना बोला था। 
0
मन तो मतवाला है  
तेरे तीरों से  
कब डरने वाला है।
14
 अब मन पर भार नहीं  
मेरे खाते  में 
अब दर्ज़ उधार नहीं।
0
चर्चा ये जारी है  
कर्ज यहाँ तुझपे 
सुन मेरा भारी है ।
15
अहसास बड़ा प्यारा- 
तेरा कोई है 
बैरी फिर जग सारा ।
ज्योत्स्ना प्रदीप 
0
अधरों पर आह नहीं  
तू मेरा है ,फिर 
मुझको परवाह नहीं । डॉ.
ज्योत्स्ना शर्मा
-0-
 
 
16 टिप्पणियां:
वाह अद्भुत!! हार्दिक बधाई दोनों ज्योत्स्ना जी को आनन्द दुगना हो गया
Exlent experiment for literature
माहिया के बहाने प्यार भरी बातचीत |ज्योत्स्ना द्वय को बधाई |
सुरेन्द्र वर्मा
त्रिवेणी में स्थान देने के लिए संपादक द्वय के प्रति हृदय से आभार तथा प्रेरक प्रोत्साहन हेतु अनिता मंडा जी ,आदरणीय कश्मीरी लाल जी एवं डॉ. सुरेन्द्र वर्मा जी का हार्दिक धन्यवाद !!
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
bahut khoob bhav aur sunder abhivyakti
badhai
rachana
सशक्त भावों से भरी जुगलबंदी ज्योत्स्ना द्वय को बधाई|
पुष्पा मेहरा
दोनों ही ज्योत्सना को ख़ूबसूरत भावों से सजे माहिया की रचना पर हार्दिक बधाई ।
अदभुत... बहुत खूबसूरत जुगलबंदी...। आनंद आ गया । दोनो ज्योत्सना जी को हार्दिक बधाई...।
अदभुत... बहुत खूबसूरत जुगलबंदी...। आनंद आ गया । दोनो ज्योत्सना जी को हार्दिक बधाई...।
वाह! वाह! बहुत ख़ूब ! आनंद आ गया !
प्रिय ज्योत्स्ना द्वय सखियों को ढेरों बधाई एवं शुभकामनाएँ !!!:-)
~सादर-सस्नेह
अनिता ललित
ज्योत्स्ना जी बहुत सुन्दर ! हम दोनों को त्रिवेणी में स्थान देने के लिए संपादक द्वय के प्रति हम हृदय से आभारी हैं तथा आपकी स्नेहसिक्त टिप्पणियों का तहे दिल से आभार !!!
वाह! बहुत खूबसूरत जुगलबंदी!
ज्योत्स्ना शर्मा जी, ज्योत्स्ना प्रदीप जी बधाई!
वाह्ह काव्यात्मक वार्तालाप का अनूठा ढंग | आप दोनों को हार्दिक बधाई |
आपकी स्नेहिल प्रतिक्रियाएँ हमारे लेखन की ऊर्जा हैं ..
हृदय से आभार आप सभी का !
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
पहले तो दो सौ महिया रचनें के लिए बधाई ज्योत्स्ना जी !!!
सभी महिया बहुत प्यारे हैं इसने तो मन मोह लिया। ..
.देकर रूमाल गए
नैना परदेसी
जादू -सा डाल गए ।
ये पढ़ा। ....
ख़ुशियों का डेरा है
वैरी जग सारा
कोई तो मेरा है ।
मुझे मेरा एक महिया याद आ गया -
अहसास बड़ा प्यारा-
तेरा कोई है
बैरी फिर जग सारा ।
आप इसी तरह लिखती रहे... इन्हीं शुभकामनाओं के साथ -
ज्योत्स्ना प्रदीप
वाह आप दोनों को हार्दिक बधाई ..सभी माहिया एक से बढ़कर एक ....मन मोह लिया इतने खूबसूरत माहिया छंद ने ..आप दोनों की जुगलबंदी कमाल है ।
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