माहिया - शशि पाधा
1
चुपचाप खड़ा माली
उपवन उजड़ा -सा
बिन फूलों के खाली
2
कुछ देर- सवेर हुई
मौसम बदलेंगे
पंछी की टेर हुई
3
धरती सब सहती है
विपदा-आपद में
बस मौन ही रहती है
4
वचनों का मान किया
काँपी धरती तो
पर्वत ने थाम लिया
5
सागर इक बात बात कहे-
बहती लहरों में
नदिया की पीर बहे
6
अम्बर के तारे भी
दो पल संग चले
दो साथ किनारे भी
7
बादल को गाने दो
गीत जुदाई के
कुछ देर सुनाने दो
8
अम्बर में बादल- सा
तुझको आँज लिया
अखियों में काजल सा
9
यह अब ना टूटेंगे
धागे बंधन के
थामे, ना छूटेंगे
10
साँसों में बाँध लिया
ढाई आखर का
गुर मंतर बांच लिया
11
अधरों पे नाम धरे
मनवा जोगी -सा
तेरा जप ध्यान करे
12
नदिया की लहरों में
प्रीत पनपती है
आठों ही पहरों में
13
कैसा संयोग हुआ
चाँद चकोरे- सा
अपना भी योग हुआ
14
कुछ अजब कहानी है
अधर हँसे हर पल
नयनों में पानी है
-0-
8 टिप्पणियां:
वाह! बहुत बढ़िया माहिया शशि जी बधाई ।
होली की शुभकामनाएं।
शशि जी उन्नत भावों से भरपूर माहिया की रचना की है । होली की शुभकामनाएं और बधाई ।
शशि जी उत्कृष्ट सृजन की बधाई
बहुत सुन्दर माहिया दीदी ....हार्दिक शुभकामनाएँ !
मन भावन
Bahut sundar mahiya hain bahut bahut badhai...
बहुत सुन्दर सृजन शशि जी हार्दिक शुभकामनाएँ !
बहुत बढ़िया शशि जी...हार्दिक बधाई...|
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