शुक्रवार, 18 मार्च 2016

692


ताँका : डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
 1
उजला थान
उसमें से मुझको
मिला रुमाल
रखा मैंने निर्मल
जतन से सँभाल 
2
 उगा पड़ा है
आवाजों का जंगल
तन्हा खड़ी मैं
गा लेती संग में ,क्यों-
अनमनी बड़ी मैं ?
3
खूब लुभाते
गुनगुन करते
रस के लोभी
झूमती कलिकाएँ
खिल-खिल मुस्काएँ 
4
 चुरा ले गई
फूलों के दामन से
खुशबू हवा
समझी थी सहेली
क्यों बनी है पहेली ?
5
 रेतीले तट
सागर से बिछुड़ी
लहरें गुम
पत्थर ज़्यादा लाईं
सीपियाँ तो हैं कम 
6
 पीले फूलों में
अजब-गजब सा
खड़ा बिजूका
किसी को भी न भाए
मन में पछताए 
-0-
2-शशि पाधा
1
चुपचाप खड़ा माली
उपवन उजड़ा -सा
बिन फूलों के खाली
2
कुछ देर- सवेर हुई
मौसम बदलेंगे
पंछी की टेर हुई
3
धरती सब सहती है
विपदा-आपद में
मौन बनी रहती है
4
वचनों का मान किया
काँपी धरती तो
पर्वत ने थाम लिया
5
सागर इक बात बात कहे-
बहती लहरों में
नदिया की पीर बहे
6
अम्बर के तारे भी
दो पल संग चले
दो साथ किनारे भी
7
बादल को गाने दो
गीत जुदाई के
कुछ देर सुनाने दो
8
अम्बर में बादल- सा
तुझको आँज लिया
अखियों में काजल- सा
9
यह अब ना टूटेंगे
धागे बंधन के
थामे, ना छूटेंगे
10
साँसों में बाँध लिया
ढाई आखर का
गुर मंतर बांच लिया
11
अधरों पे नाम धरे
मनवा जोगी -सा
तेरा जप ध्यान करे
12
नदिया की लहरों में
प्रीत पनपती है
आठों ही पहरों में
13
कैसा संयोग हुआ
चाँद चकोरे- सा
अपना भी योग हुआ
14
कुछ अजब कहानी है
अधर हँसे हर पल
नयनों में पानी है
-0-

15 टिप्‍पणियां:

Krishna ने कहा…

बहुत खूबसूरत अर्थपूर्ण तांका ज्योत्स्ना जी!
शशि जी आपके बहुत सुन्दर मनमोहक माहिया।
आप दोनों रचनाकारों को मेरी बहुत शुभकामनाएँ।

बेनामी ने कहा…

रेतीले तट
सागर से बिछुड़ी
लहरें गुम
पत्थर ज़्यादा लाईं
सीपियाँ तो हैं कम ।
bahut sunder bhav
badhai
rachana

मेरा साहित्य ने कहा…

अम्बर के तारे भी
दो पल संग चले
दो साथ किनारे भी
sunder likha hai
badhai
rachana

Jyotsana pradeep ने कहा…

saare taanka bahut sundar ...
रेतीले तट
सागर से बिछुड़ी...ke gahan bhaav ne man moh liya jyotsna ji .
khoobsurat mahiya ...
अम्बर के तारे भी
दो पल संग चले....ismein chipa bhaav arthpurn v manmohak hai shashi ji .

aap donon rachnakaaron ko bahut -bahut badhai !

Pushpa mehra ने कहा…


बहुत भावपूर्ण तांका और माहिया ज्योत्स्ना जी व शशि जी दोनों को बधाई


पुष्पा मेहरा|

ज्योति-कलश ने कहा…

bahut sundar ,madhur maahiyaa didi ...haardik badhaii !

meri rachanaaon ko yahaan sthaan dene ke liye sampaadak dway k prati aur prerak pratikriya se mera utsaah vardhan karane ke liye Krishna di , Rachana ji , jyotsna pradeep ji evam Pushpa di ke prati hruday se aabhar !

saadar
jyotsna sharma

Kamlanikhurpa@gmail.com ने कहा…

बहुत प्यारी रचनाएँ ज्योत्सनाजी और शशिजी ..

चुरा ले गई
फूलों के दामन से
खुशबू हवा
समझी थी सहेली
क्यों बनी है पहेली ?

बादल को गाने दो
गीत जुदाई के
कुछ देर सुनाने दो

अधरों पे नाम धरे
मनवा जोगी -सा
तेरा जप ध्यान करे


लाजवाब

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

dono rachnakaron ki rachnayen bahut bhavpurn hain bahut bahut badhai..

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

ज्योत्सना जी और शशि जी आपदोनो को अत्यंत सुन्दर भावों से परिपूर्ण सृजन पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ।

Unknown ने कहा…

Good

Shashi Padha ने कहा…

ज्योत्सना जी बहुत सुंदर है आपके तांका, 5 और 6 विशेष लगे | माहिया पर अपनी स्नेहिल प्रतिक्रिया देने के लिए सभी मित्रों का धन्यवाद एवं सम्पादक द्वय का आभार |

शशि पाधा

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर रचनाएँ ज्योत्स्ना शर्मा जी, शशि पाधा जी। आप दोनों की ढेर सारी बधाई।

Anita Manda ने कहा…

ज्योत्स्ना जी बहुत भावपूर्ण ताँका रचे आपने। शशि जी सुंदर लयपूर्ण माहिया आपके , बधाई

ज्योति-कलश ने कहा…

हृदय से आभार आप सभी गुणीजनों का ..होली की हार्दिक शुभ कामनाएँ स्वीकार कीजिए !

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

भावपूर्ण . मनोरम तांका और माहिया के लिए आप दोनों को बहुत बधाई...|