शुक्रवार, 16 जून 2017

769

सेदोका
1-भावना सक्सैना
1
बदला नहीं
वो जमाने के संग
हर रंग बेरंग,
कहता रहा
जो भी हो दस्तूर
मिलना है रूर।
2
सुधि- निर्झर
बहता कल -कल
सहलाता है मन,
वेदना- सिक्त
दुष्कर से क्षणों में
बनता आलंबन।
3
यादों के मोती
भरे दिल के सीप
कितने ही सालों से,
यादें सरल
निष्कपट, दूर है
जग की चालों से।
4
जीवन -संध्या
विश्लेषण के पल
अनुभव के बोरे,
विचारमग्न,
दूर चले कितने
रहे फिर भी कोरे।
5
जीवन -माला
गुज़रते वर्ष हैं
मनके सुनहरे,
मन के धागे
नित रहें  बाँधते
नूतन संगी मेरे।
-0-
ताँका
सुनीता काम्बोज
1

पगला मन
आशाओं का खिलौना
खेलता रहा
भ्रम के ही तूफान
नित झेलता रहा ।
2
कानन घना
तम और सन्नाटा
पसरा रहा
जीवन में सभी तो
बिन बोले ही कहा
3
पूर्ण आशाएँ
तृप्त हर सपना
तृष्णा संन्यासी
माया रही अछूती
फिर क्यों ये उदासी ?
4.
अबूझ लगी
पहेली जीवन की
करूँ प्रयास
सुलझेगी ज़रूर
मन  में बची आस
5
रूप है रोया
मार कर दहाड़
किस्मत हँसी
होठों पर मुस्कान
सिर्फ़ समय जीता ।
6
ज्ञान की बूँद
ह्रदय में बहती
है मिथ्या भ्रम
अभिमान जगाए
खुद के गुण गाए।
7
चिता जलती
यादों की फिर आज
कपट का कफ़न
धू -धू -धूकर जला
प्रपंच छोड़ चला।

-०-                        

गुरुवार, 8 जून 2017

767

1-कमला  निखुर्पा
1
थी मैं अभिधा 
गिनाए जो तुमने
लक्षण मेरे 
बन गई व्यंजना 
खुद को पहचाना ।
-0- 
2-रामेश्वर काम्बोजहिमांशु
1
मैं निरुत्तर
तेरा नेह-विस्तार
धरा से नभ
नहीं पा सका पार
भिगो रही बौछार ।
-0-
रमेश कुमार सोनी  
1
नदी अकेली
प्यास बुझाने दौड़ी
बस्ती बसाती
प्रदूषित हो जाती
बचाओ नहीं बोली
2
धूप की कूची
भित्ति चित्र पेड़ों के
रोज बनाती
सदा से ही अधूरी
छोटी –बड़ी हो जाती

-0-

गुरुवार, 1 जून 2017

766

रेखा रोहतगी
1
जो उनसे अनबन  है
रूठूँ  या मानूँ

दिल में ये उलझन है
 2
 
तुमने मारा ताना
 
तीर धँसा दिल में
 
तुमने ये कब जाना
 3
 
जो बात नहीं जँचती
 
लाख जतन कर लूँ
 
वो बात नहीं  पचती
4
 
मैं गुस्से में ऐंठी
जाते देख उसे
सब मान भुला बैठी