चोका
-डॉ सुधा गुप्ता
सावन आये
बहना को भेंटने
बादल-साड़ी
बुँदियों का शृंगार
तीज-त्योहार
बहनें करती हैं
भरे मन से
सिंधारा-इंतज़ार
शाखों के झूले
चिड़ियाँ गातीं गीत-
'पिया-रंगीले'
बहना ने भेजा है
मैके सन्देश-
भइया, ज़रूर आना
राखी बँधाना
बनाऊँ पकवान
रोली-अक्षत
आरती का सामान
करूँ तैयार
आस-भरे नयनों
देखा करूँ दुआर!!
-0-
सेदोका
1-डॉ सुधा गुप्ता
1
यत्न से रखीं
तहाकर जो यादें
अतीत के सन्दूक
खोल बैठी जो,
देखा वक़्त-सितम,
सब चकनाचूर!
2.
पावस-साँझ-
उफनती नदिया
गहराता अँधेरा
जाना है पार
नौका न कोई घाट
अछोर फैला पाट ।
3.
जिस आँख में
समाती नहीं बूँद
ढुलकती बाहर
अचरज है
कैसे तो समा गया
तेरा रूप-सागर॥
4
बरखा रानी
पूरी ठसक साथ
सजी शाही पोशाक
रथ सवार
खस-भीगी पंखी है
हाथ, शोभा अपार
5.
कल शृंगार
बने गले का हार
भक्त जन निसार
आज निर्माल्य:
उतार फेंके गए
कचरा पड़ा द्वार!
6.
पड़ी बधाई
बंद मुट्ठी थे आए
जाने क्या-क्या ले आए
जाने की बेला:
सब कुछ बाँट के
पड़े हाथ पसारे ।
-0-
-सुधा गुप्ता
120 बी /2, साकेत, मेरठ.
शिवरात्रि, 21.
07. 17.
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2-
शशि पाधा
1
हिरना मन
वन -वन भटका
नित ढूँढे, न पाए
कस्तूरी -गंध
मन में ही बसती
फिर क्यों भरमाए ।
2
तारों की टोली
चली अम्बर -गली
करती खिलवाड़
आकाश गंगा
मुसकाए-निहारे
बाँटे खीर कटोरे
-0-