गुरुवार, 16 मई 2024

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भीकम सिंह 


1

सोच में बैठे

खेत की मेड़ पर 

वो, आजकल 

बारिश में धूप का 

जैसे कोई दख़ल ।

2

तेरे ही लिए 

कुहनी पे टिका है 

मेरा आगाज़ 

पीठ सरहद है 

जुगनू हमराज़ ।

3

जैसे उसकी 

पदचाप -सी हुई

गली में कई 

मौसम के तेवर 

माघ में हुए मई ।

4

छुई सवेरे 

धूप ने जब ओस 

वसंत खिला 

यादों का पतझड़ 

करता रहा गिला ।

5

जब भी वह 

राह से गुजरते 

यों सॅंवरते 

बारिश के ज्यों मेघ

नींद में उतरते ।

6

प्यार के दृश्य 

रात फिर घुमड़े

मेघों के साथ 

तलाशता रहा मैं

जुगनुओं का साथ 

-0-


11 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

बहुत ही सुंदर ताँका।
हार्दिक बधाई आदरणीय 🌹💐🌷

सादर

Rashmi Vibha Tripathi ने कहा…

बहुत ही सुंदर ताँका।
हार्दिक बधाई आदरणीय 🌷💐🌹

सादर

Krishna ने कहा…

बहुत सुंदर ताँका...हार्दिक बधाई।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

Sonneteer Anima Das ने कहा…

बहुत ही सुंदर सृजन. सर ..🌹🙏🏻😊

शिवजी श्रीवास्तव ने कहा…

सभी तांका बेहतरीन।हार्दिक बधाई।

Ramesh Kumar Soni ने कहा…

अच्छे बिम्ब और गहरे भाव लिए अच्छे ताँका की हार्दिक बधाई जी।

dr.surangma yadav ने कहा…

वाह!बहुत सुन्दर ताँका।हार्दिक बधाई सर।

बेनामी ने कहा…

एक से बढ़कर एक सभी ताँका बहुत सुंदर । हार्दिक बधाई। सुदर्शन रत्नाकर

भीकम सिंह ने कहा…

मेरे ताॅंका प्रकाशित करने के लिए सम्पादक द्वय का हार्दिक धन्यवाद और आप सभी की मनभावन टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार ।

surbhidagar001@gmail.com ने कहा…

बहुत ही सुन्दर