माहिया- रश्मि विभा त्रिपाठी
1
क्या कहर नहीं ढाती
धूप जुदाई की
हरदम ही झुलसाती।
2
तेरा ही ख़्वाब मुझे
दिखता रातों को
मेरा महताब मुझे।
3
ख़्वाबों में हम चलते
तुम तक जा पहुँचें
दिन के ढलते- ढलते।
4
होता न अज़ाब कभी
खुशियों के मानी
हैं तेरे ख़्वाब सभी।
5
दिल की तुम हसरत हो
कैसे छोड़ूँ मैं
तुम मेरी आदत हो।
6
हम फर्ज़ अदा करते
रोज मुहब्बत का
तेरा सजदा करते।
7
पलकें ये हैं भारी
अब तो आने को
कर लो तुम तैयारी।
8
विश्वास अगर होगा
इक दूजे के प्रति
तो प्यार अमर होगा।
9
दिल आज कुशादा है
तुमपे यकीं मुझे
खुद से भी ज़्यादा है।
10
जाने क्या कर जाएँ?
तुमसे बिछड़े तो
शायद हम मर जाएँ।
11
सबकुछ अब पाया है
तेरी सूरत में
मैंने रब पाया है!
12
सबकुछ फ़ानी होगा
प्यार मगर मेरा
जावेदानी होगा।
13
अरमाँ मचले दिल में
जब आकर बैठे
तुम मेरी महफिल में।
14
वो आन मिला मुझको
मेरी किस्मत से
ना गम न गिला मुझको।
15
खुशबू इक भीनी है
तेरी चाहत ये
कितनी शीरीनी है।
16
दीदा- ए- पुर- नम है
तू जो साथ नहीं
बस ये ही इक गम है।
17
कब वो रह पाया है
मुझसे दूर कहीं
मेरा हमसाया है।
18
अवसाद घना हर लो
अपनी बाहों में
तुम अब मुझको भर लो।
19
मन कितना निश्छल है
तुमको पाना तो
पुण्यों का ही फल है।
20
इक पाक भरोसा है
मेरे माथे पर
तेरा जो बोसा है।
21
है सफ़र अधूरा ये
साथ चलोगे तुम
तब होगा पूरा ये।
22
मत वक्त गँवाओ तुम
जीवन दो दिन का
अब आ भी जाओ तुम।
23
जब तुमको ना पाऊँ
कितनी मुश्किल से
मैं दिल को समझाऊँ।
24
क्या और कहें ज़्यादा
ये ही कहते हैं-
ना तोड़ेंगे वादा।
25
बेशक कह ना पाएँ
तेरे बिन लेकिन
हम तो रह ना पाएँ।
26
तुमसे इक बार मिले
तन- मन महक उठा
ज्यों हरसिंगार खिले।
27
उनसे इकरार हुआ
आज क़बूल हुई
मेरी हर एक दुआ।
28
शोलों से क्या डरना
प्यार तुम्हारा ये
इक मीठा- सा झरना।
8 टिप्पणियां:
अति सुंदर भावपूर्ण, मनमोहक माहिया। हार्दिक बधाई रश्मि जी।सुदर्शन रत्नाकर
सुन्दर शब्द विन्यास। मन मोह लिया
माहिया मूलतः विरह की ही अभिव्यक्ति का छंद है,इस दृष्टि से रश्मि जी के समस्त माहिया बहुत प्रभावी हैं, सभी में विरह वेदना की मार्मिक अभिव्यक्ति है।बधाई रश्मि जी।
त्रिवेणी में मेरे माहिया को स्थान देने के लिए आदरणीय सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार।
आदरणीया रत्नाकर दीदी, अंजू जी एवं आदरणीय शिवजी श्रीवास्तव जी की टिप्पणी की हृदय तल से आभारी हूँ।
सादर
वाह
बहुत सुंदर माहिया रचे हैं रश्मि जी। बधाई!
बहुत मधुर माहिया रचे रश्मि जी, बधाई आपको- अनिता मंडा
प्रेम-रस में भीगे-भीगे सभी माहिया अत्यंत सुंदर!
~सादर
अनिता ललित
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