1-भीकम सिंह
1
हवा थी नहीं
घुटा घूमता मेघ
चुआ ही नहीं
खेत के बुरे दिन
फिर हुए कि नहीं ।
2
डर के मारे
सिकुड़- सिमटके
बैठ गए हैं
होके मटियामेट
गाँवों
में अब खेत।
3
लाड़ लड़ाता
खेतों का चौड़ा सीना
सम्हाले हल ।
रोज ठोकर खाता
हारता पल - पल।
4
मैली चूड़ियाँ
साँवली
कलाई में
कुछ तो कहो
श्रमिक महिलाओ!
स्वेद की सफाई में ।
5
कल थे खेत
प्यारी - प्यारी क्यारियाँ
खो गए सब
ढूँढें
किस गाँव में
फेरी लगाके अब ।
-0-
2- रश्मि विभा त्रिपाठी
1
जब भी मैं पाती हूँ
ख़्वाबों में तुमको
फूली न समाती हूँ।
2
माथे पे आई जो
तुमने बोसे से
हर शिकन मिटाई वो।
3
मिलने को वो आया
था मालूम मुझे
होगी न हुड़क ज़ाया।
4
ये मन बेहाल हुआ
तुम बिन हर दिन अब
जैसे इक साल हुआ।
5
अपना सुख- दुख साँझा
हीर तुम्हारी मैं
तुम मेरे हो राँझा।
करता शुकराना दिल
तुमने समझा जो
मुझको अपने क़ाबिल।
7
दिल का ये हाल रहा
हर पल, हर लम्हा
तेरा ही ख़्याल रहा।
8
ख्वाबों में तुम आए
मैं जब सोई तो
जागी किस्मत, हाए।
9
मंदिर, दरगाहों पे
माँगा, हो न कभी
वो दूर निगाहों से।
10
हाँ सच है यह किस्सा
अब तुम हो मेरे
इस जीवन का हिस्सा।
11
तुम ही वो शख़्स रहे
मेरे इस दिल पे
हैं जिसके नक़्श रहे।
12
तुमसे ना बात हुई
दिन बेकार गया
औ काली रात हुई।
13
पहचान मुहब्बत की-
रूह हमारी है
इक- दूजे में अटकी।
14
वो पल भूले- बिसरे
कागज पे लिक्खूँ
मैं तेरे ही मिसरे।
15
मिटती हर पीर पिया
तुममें है ही कुछ
ऐसी तासीर पिया।
16
मंदिर क्यों जाना है
प्यार फ़कत पूजा
हमने यह माना है।
17
आएँगे आज पिया
यों उम्मीदों का
जलता हर रोज दिया।
18
महबूब बिना क्या है
चूड़ी, पायलिया
सिंदूर, हिना क्या है?
19
थोड़ा सुनते जाना
मेरे किस्से में
तेरा है अफ़साना।
20
कुछ और न मन में है
ख़्याल तुम्हारा ही
हर वक्त ज़हन में है।
7 टिप्पणियां:
हर बार की तरह दोनों रचनाकारों की रचनाएँ श्रेष्ठ। भीकम सिंह जी और रश्मि जी को अनेकों शुभकामनाएँ!
भीकम सिंह जी ग्राम्य जीवन को बहुत सहजता से प्रभावी ढंग से अपनी रचनाओं में उतारते हैं।उनके समस्त तांका उसी कड़ी में ग्राम्य जीवन के यथार्थ को व्यक्त कर रहे हैं वहीं रश्मि विभा जी के माहिया प्रेम और वेदना की सघन अनुभूतियों को व्यक्त कर रहे हैं।बधाई दोनो रचनाकारों को।
बहुत ही सुंदर ताँका।
आदरणीय भीकम सिंह जी को हार्दिक बधाई, शुभकामनाएँ🌹💐🌷
मेरे माहिया को स्थान देने के लिए आदरणीय सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार।
आदरणीया प्रीति जी और आदरणीय शिव जी श्रीवास्तव जी की टिप्पणी की हृदय तल से आभारी हूँ।
सादर
रचनाकार द्वय की अति सुन्दर रचनाएँ।हार्दिक बधाइयाँ।
बहुत सुंदर ताँका और माहिया...दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
अत्यंत सुंदर रचना भीकम सिंह भाई साहब
भीकम सिंह जी एवं रश्मि जी को भावपूर्ण लेखन के लिए बधाई।
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